पुनीत गुप्ता, संवाददाता
रोहिणी।। पिछले 6 महीनों से चला रहा एमसीडी कर्मचारियों की तनख्वाह का विवाद ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा, हालांकि इस मुद्दे पर राजनीती खूब हो रही है, एमसीडी का स्पेशल सत्र भी बुलाया जाता है लेकिन तनख्वाह का जिक्र कभी नहीं होता है तो फिर आरोप प्रत्यारोप का खेल नॉर्थ एमसीडी दिल्ली सरकार पर आरोप लगाती है कि दिल्ली सरकार ₹13000 करोड़ नहीं दे रही है जिसकी वजह से एमसीडी कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पा रही है उसके पलट दिल्ली सरकार एमसीडी पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगा कर रही है।
अब जब राजनीतिक पार्टियों से बात बनती हुई नहीं दिख रही है एमसीडी के कर्मचारियों ने अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी है। कर्मचारी को कहना है कि किसी भी राजनीतिक पार्टी पर अब उनको विश्वास नहीं है कर्मचारियों को कहना है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा है लेकिन हमारे लिए यह एक रोजी रोटी का सवाल है सोमवार को रोहिणी जोन के सामने कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया जिसमें स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और सफाई विभाग के कर्मचारी मौजूद रहे।
एमसीडी कर्मचारी यूनियन के मेंबर कुलदीप ने कहा कि हमने यह पता किया है कि दिल्ली सरकार अपना बकाया पैसा दिसंबर तक का एमसीडी को दे चुकी है। लेकिन एमसीडी के महापौर और एमसीडी के अफसर तनख्वाह नहीं दे रहे हैं। करोना काल में सबसे पहले अपनी नैतिक जिम्मेदारी एमसीडी के कर्मचारियों ने ही निभाई थी चाहे वह अस्पताल में हो चाहे सफाई के मैदान में हो, एमसीडी कर्मचारी सबसे आगे रहे थे लेकिन अब एमसीडी कर्मचारी की तनख्वाह के मामले में सबसे पीछे हैं एमसीडी कर्मचारियों का यह प्रदर्शन रोहिणी जोन से लेकर मधुबन चौक तक निकाले गया जिसमें महापौर का पुतला भी जलाया गया, और यह मांग की गई कि जब तक तनखा नहीं मिलेगी तब तक यह प्रदर्शन इसी तरीके से चलता रहेगा