संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली।। एशिया की सबसे बड़ी फल, सब्जी मंडी में अव्यवस्था और अराजकता का ऐसा माहौल है कि यहां कोई भी कारोबारी सुरक्षित नहीं हैं। न जान से न माल से उनकी कोई सुरक्षा है। आज व्यापारी कन्हैया चौधरी के साथ हुई मारपीट की वारदात से कारोबारियों की सुरक्षा की पोल खुल गई। व्यापारियों के अनुसार उन्हें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
जहां तक माल खरीदने और बेचने का सवाल है, किसान फोन करके भाव पता करता है कि किस मंडी में माल भेजना है। आढती को नकद या बैंक से भुगतान करना पड़ता है लेकिन माल उधार बेचना पड़ता है। यह उनकी मजबूरी है। सरकार इन्हें दलाल, बिचैलिया कहती है, यह अलग उनके लिए कष्टकारी है। व्यापारियों के अनुसार उधार दिए गए माल का अगर पेमेंट नहीं आता तो व्यापारी के पास पैसा निकलवाने का कोई तरीका नहीं है।
बेईमानी, गुंडागर्दी से कोई पैसा न देना चाहे तो किसी भी हालत में पैसा निकलवाया नहीं जा सकता। आज हुई कन्हैया चौधरी से मारपीट का मामला भी कुछ ऐसा ही है। ऐसे मामलों में पुलिस भी उनकी कोई मदद नहीं करती। पुलिस शिकायत तक दर्ज नहीं करती। कोरोना काल में वैसे ही मार्केट संकट से जूझ रहे हैं। सब्जी मार्केट बर्बाद हो रहे हैं और फिर पैसे अटक जाने से व्यापारियों की हालत और बदतर हो रही है।
कारोबारियों का कहना है कि वैसे मंडी में विवाद समिति बनी हुई है लेकिन विवादों को निपटाने में वह भी लाचार है।मालूम हो कि यहां 2800 लाइसेंसधारी आढती हैं। 1430 दुकानें हैं। इनमें से 438 बड़ी दुकानें हैं। बाकी छोटी हैं। इनमें फू्रट मंडी भी है। माशाखोर भी बैठते हैं जो आढतियों से माल लेकर बेचते हैं। मंडी में 150 होटल सप्लायर हैं। लोडिंग और बीचक 150 के करीब हैं। इस तरह से इन व्यापारियों की तादाद काफी है।यहां से पूरे उत्तर भारत में माल जाता है। सब्जी, फल के इन सैंकड़ों व्यापारियों के भुगतान संबंधी कोई नियामक एजेंसी नहीं है। ऐसे में इन्हें भारी संकट का सामना करना पड़ता है। अपना बेचे हुए माल का पैसा चसूलना उनके लिए कठिन साबित हो रहा है।