काव्या बजाज, संवाददाता
नई दिल्ली।। भारत में चर्चा का विषय बन चुकी ग्रेटा थनबर्ग किसान आंदोलन पर ट्वीट से पहले भी सुर्खियों में आ चुकी हैं। स्वीडन की एनवार्यमेंटल गर्ल कही जाने वाली ग्रेटा ने पहले पर्यावरण को बचाने के लिए एक मुहीम चलाई थी, जिसके लिए वह हर शुक्रवार को स्वीडन की संसद के बाहर बैठती थी। पर्यावरण को बचाने के लिए लोगों को जागरूक करती थी। तभी से ही ग्रेटा का चर्चा में आने का सिलसिला शुरु हुआ था।
आपको बता हें कि 15 साल की उम्र में पर्यावरण को बचाने के लिए उन्होंने जो मुहीम चलाई उसमें स्वीडन के लोगों के साथ – साथ दूसरे देशों ने भी हिस्सा लिया था और कई देशो ने फ्राइडे फार फ्यूचर के नाम से मुहीम चलाई और ग्रेटा की मुहीम को समर्थन दिया।
इस मुहीम को चलाने के लिए ग्रेटा ने शुक्रवार के दिन स्कूल जाना छोड़ दिया। जिसकी वजह से उन्होंने एक भाषण के दौरान कहा था कि उनकी उम्र के बच्चों को इस समय स्कूल में होना चाहिए था, लेकिन पर्यावरण को देखते हुए उन्हें यह सब करना पड़ रहा है। और यह सब लोगों की महरबानी है।
पर्यावरण को ले कर विश्व के सभी नेताओं पर आरोप लगा चुकी ग्रेटा एक नहीं कई बार सुर्खियों में आ चुकी हैं। भारत में सुर्खियां बटोरने का कारण पर्यावरण नहीं, बल्कि किसान आंदोलन है। कृषि कानून काफी समय से देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन कुछ समय से इसकी गूँज विदेश में भी सुनाई देने लगी है। अमेरिका की सिंगर रिहान्ना के साथ – साथ स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग ने भी किसान दोलन पर एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने एक दस्तावेज साझा किया। दस्तावेज साफ तौर पर बताया गया था कि किसान आंदोलन को किस तरह से आगे लेकर जाना है। जिसकी वजह से दिल्ली पुलिस ने उन पर कार्यवाही करते हुए कहा कि वह देश में दंगा फैलाने वाले लोगों के साथ हैं और उन्हें भड़का रही हैं। जिसपर ग्रेटा ने कहा कि अभी भी वह खुलकर किसानों का समर्थन करेंगे। और वह किसी की धमकी से डरने वालीं नहीं है।