Saturday, May 4, 2024
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रेल रोको आंदोलन से कितना पड़ा देश में असर ?

प्रदीप अंतील, संवाददाता

दिल्ली एनसीआर।। किसान आंदोलन अपने 3 महीने पूरे करने जा रहा है लेकिन सरकार और किसानों के  बीच अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है इससे आम जनता को तो परेशानी हो ही रही है साथ ही साथ सरकार को इस आंदोलन के चलते आर्थिक तौर पर नुकसान हो रहा है या फिर यूं कह लें कि 2020 सरकार के लिए एक दुर्भाग्यपूर्ण रहा है पहले कोविड-19  और अब किसान आंदोलन के चलते लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है अभी यह कहना मुश्किल होगा कि आंदोलन कितना और चलेगा या कब तक चलेगा |

सरकार और किसानों के बीच अभी इस समस्या का हल निकलने की संभावना दूर-दूर तक नहीं नजर आ रही है। इस बीच जो आम जनता को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और साथ ही सरकार को भी भारी-भरकम आर्थिक चोट पहुंच रही है। सर्दी का पूरा सीजन प्रदर्शनकारी किसानों के ऊपर से गुजरा है इसी बीच लगभग 200 से ज्यादा किसानों की मौत का आंकड़ा सामने आया है अपने आप में यह देश जनता और किसान संगठन के लिए बहुत दुखद बात है। इसके बावजूद भी सरकार और किसान प्रदर्शन आंदोलनकारी मानने के लिए कतई राजी नहीं है किसानों के लिए कृषि आंदोलन किसी रणभूमि से कम नहीं आंका जा सकता।

केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों ने कल दोपहर 12:00 बजे से 4:00 बजे तक देशभर में रेल को रोक कर अपना विरोध जताया| भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि स्थानीय स्तर पर रेल रोकी जाएगी यानि जहां पर किसान आंदोलन की जगह पे बैठा हुआ है वहां से उठ करके वह रेल रोकने नहीं जाएगा रेल रोको आंदोलन स्थानीय लोगों को ही पूरा करना होगा। किसानों के इस आह्वान को देखते हुए रेलवे ने भी अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी की गई थी।

देशव्यापी रेल रोको आंदोलन के दौरान हजारों की संख्या में किसान रेल पटरियों पर बैठे नजर आए रेलवे ने इस आंदोलन को देखते हुए कई ट्रेनों को रद्द किया था वहीं कुछ के रूट में परिवर्तन किया था इसके अलावा जीआरपी और आरपीएफ के जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई।  रेल रोको आंदोलन का असर उत्तर भारत में ज्यादा देखने को मिला इनमें हरियाणा यूपी पंजाब शामिल रहे।

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