शिवानी मोरवाल, संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली में शनिवार को किसान आंदोलनकरियों द्वारा नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर दूसारी बार चक्क जाम किया। इससे पहले भी वह 8 जनवरी को भारत बंद करवा चुकी है। इस बार का माहौल बदला हुआ था। कारण 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस इस बार पूरी तरह से मुस्तैद दिखी। इस को लेकर जब दिल्ली दर्पण की टीम ने दिल्ली की सड़को का जायजा लिया तो तस्वीरें कुछ और ही बयां कर रही थी। आपको बता दें कि दिल्ली के बड़े-बड़े चौरहे पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव देखने को नहीं था। साथ ही कही भी जाम की स्थित देखने को नहीं मिली।
जब इस बारे में लोगों से पूछा गया कि कैसा है दिल्ली की सड़को का हाल तो उनका कहना था कि दिल्ली में भी फिलहाल कहीं भी चक्का जाम की स्थित नहीं देखने को मिली। आपको बता दे की चक्का जाम के लिए किसानों को दोपहर 12बजें से लेकर 3बजें तक का समय था।
किसान नेताओं ने दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड में चक्का जाम नहीं किया। क्योंकि सरकार की तरफ से मीटिंग के लिए कभी भी बुलाए जाने की उम्मीद थी। पर गुरुग्राम, अमृतसर जैसे कई राज्यों में चक्का जाम का असर दिखा। साथ ही किसानों का जत्था सड़को पर भी उतर आया।
दिल्ली-एनसीआर में किसानों के चक्का जाम का बेहद मामूली के बावजूद कुछ छिटपुट प्रदर्शनकारी नजर आए। हालांकि वे कहीं भी चक्का जाम करने में कामयाब नहीं हुए। इस बीच आइटीओ से लाल किला की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित शहीदी पार्क के सामने दोपहर एक बजकर 27 मिनट पर JNU से जुड़े लेफ्ट विंग SFI के करीब आठ स्टूडेंट अचानक पोस्टर-बैनर लेकर वहां आ गए और नारेबाजी करने लगे। दिल्ली पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्हें हिरासत में ले लिया।
वहीं, किसान संगठनों द्वारा दिल्ली में चक्का जाम नहीं करने के एलान के बावजूद कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया गया है। 50,000 सुरक्षा कर्मी सड़कों पर हैं। इस बीच केंद्रीय सचिवालय, जामा मस्जिद, लाल किला, जनपथ और विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं।
बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र समेत पूरे देश में चक्का जाम का एलान किया था। वहीं, 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के मद्देनजर उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस भी हाई अलर्ट पर थी। किसान संगठनों की ओर से बुलाए गए चक्का जाम को लेकर दिल्ली और हरियाणा पुलिस ने कमर कस ली थी। क्योंकि दिल्ली-हरियाणा के 2 बॉर्डर पर पंजाब और हरियाणा के किसान जमा हैं।