Friday, November 8, 2024
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पस्त होने लगे प्रदर्शनकारी किसान, सिंघु बार्डर पर कम होने लगे ट्रैक्टर-ट्राॅली

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

बाहरी दिल्ली। राजधानी के एनसीआर में प्रदर्शनकारी किसानों के आंदोलन की धार कम होने लगी है। वे पस्त होने लगे हैं। सिंघु बार्डर पर एक तरफ जहां कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों में मायूसी बढ़ गई है, वहीं दूसरी ओर ट्रैक्टरों और ट्रालियों की संख्या भी घट गई है। प्रदर्शनकारियों ने 27 नवंबर से सिंघु बार्डर पर प्रदर्शन शुरू कर किया था। तब सैकड़ों की संख्या में ट्रैक्टर- ट्राली लेकर प्रदर्शनकारियों का जमावड़ा लगा था। उसके बाद से उनकी संख्या लगाता बढ़ती चली गई थी। गणतंत्र दिवस के दिन राजधानी में उपद्रव करने के बाद से लगातार संख्या घटती जा रही है।

तब से ट्रैक्टर वापसी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोई ट्रैक्टर ट्राली लेकर गांवों के रास्ते से पंजाब का रुख कर रहा है तो कोई नरेला रेलवे स्टेशन से ट्रेन में सवार होकर जा रहा है। प्रदर्शन के 76वें दिन  10 फरवरी की शाम तक प्रदर्शन छोड़कर इतने ज्यादा लोग घर जा चुके हैं कि अब सिंघु बार्डर पर मात्र 93 ट्रैक्टर-ट्राली व 14 ट्रक ही बचे हैं। इसमें से 32 ट्रैक्टर व चार ट्रक नरेला रोड पर खड़े हैं। इसके साथ ही यहां लगे टेंट भी उखड़ने लगे हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदर्शन में शामिल कई उपद्रवियों ने जनवरी के आखिर में स्थानीय लोगों व पुलिस कर्मचारियों पर तलवारों से हमला कर दिया था। इस दौरान कई लोग घायल हो गए थे। इसे देखते हुए  नरेला रेलवे स्टेशन की ओर पैदल जाने वाले प्रदर्शनकारी किसान भी सहमे हुए हैं। उन्हें आशंका है कि कहीं स्थानीय लोग उनसे बदला लेने के लिए उन्हें जाने से रोक न दें।  इस कारण वे अपने संगठन के झंडों को डंडों में लपेटकर चुपचाप जा रहे हैं, ताकि किसी को पता न लगे कि वह किस संगठन से हैं।

सिंघु बार्डर पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब) की ओर से धरना दिया जा रहा है। इस कमेटी के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू  ं और महासचिव सरवन सिंह पंधेर हैं। इस कमेटी के साथ केवल पंजाब के लोग ही हैं। हरियाणा या दिल्ली के लोग इनके साथ नहीं हैं। इस कारण यहां पर पंजाब के प्रदर्शनकारियों की संख्या ही ज्यादा थी। इनमें दिल्ली या हरियाणा के प्रदर्शनकारियों की संख्या नाममात्र की थी।

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