अविशा मिश्रा, संवाददाता
नई दिल्ली।।धार्मिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं के अनुसार होली के पहले के 8 दिनों को होलाष्टक के नाम से जाना जाता है, साथ ही इन दिनों कोई भी बड़ा कार्य करना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि इन आठ दिनों में ग्रहों की चाल और मौसम में काफी बदलाव देखने मिलता है जो कि मनुष्यों पर मानसिक अथवा शारीरिक तौर पर गलत असर डाल सकता है।
होलाष्टक पर किसी भी मांगलिक कार्यक्रम और 16 संस्कार की मनाही होती है। साथ ही अगर इन दिनों में अंतिम संस्कार करना पड़े तो उसके पहले विशेष पूजा-पाठ और शांति कर्म भी किए जाते हैं। होलाष्टक के दौरान 16 संस्कारों पर रोक होने के कारण ही इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है। इस कारण ही इन दिनों में शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है।
साथ ही स्वास्थ्य को लेकर जानकारों का कहना है कि होलाष्टक के दौरान वातावरण में हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। सर्दी से गर्मी की ओर जाते हुए इस मौसम में शरीर पर सूर्य की पराबैंगनी किरणें विपरीत असर डालती हैं। इन दिनों साइट्रिक एसिड वाले फलों का इस्तेमाल ज्यादा और गर्म पदार्थों का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है।