Thursday, November 7, 2024
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बाहरी दिल्ली -राजनाथ सिंह ने दिल्ली बीजेपी को लगाई लताड़ , कहा “दिल्ली में घूमते हुए शर्म आती है”  

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

बाहरी दिल्ली। दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में करारी हार के बाद दिल्ली बीजेपी के नेता जनता से नजरें नहीं मिला पा रहे है और शीर्ष बीजेपी नेताओं को पत्रकारों के सवाल शर्मिन्दा कर रहे है। दिल्ली बीजेपी से शीर्ष नेता कितने नाराज है यह बाहरी दिल्ली में दिल्ली बीजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक खुलकर सामने आया। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के शीर्ष नेताओं में शुमार राजनाथ सिंह ने  खूब खरी-खोटी सुनते हुए शर्मिंदा किया और एक साल बाद होने वाले दिल्ली नगर निगम चुनावों को लेकर चेतावनी भी दी। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी द्वारा लगाए गए होर्डिंग पोस्टर का जिक्र करते हुए कहा की उन्हें दिल्ली में घूमते हुए “बीजेपी -0” देखकर शर्म आती है।

राजनाथ सिंह ने स्थानीय बीजेपी नेताओं को शर्मिन्दा करते हुए कहा कि वे पोस्टर की राजनीति से बाहर निकालें। राजनाथ का इशारा बाहरी दिल्ली में स्थानीय नेताओं के पोस्टर की और भी था। इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता सांसद हंसराज हंस और जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार  केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का कहा की दिल्ली बीजेपी एक तरफ जहाँ झूठ की राजनीति का जवाब नहीं दे पा रही है वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों और उपलब्धियों को भी जनता तक नहीं पहुंचा पा रही है।

अपने सम्बोधन में राजनाथ सिंह ने स्थानीय बीजेपी नेताओं को जमकर आईना दिखाया। राजनाथ सिंह ने जो कहा उसे सुन लगता है उन्हें निगम चुनाव के दौरान का माहौल सब पता है। यह सही है की बीजेपी नेताओं की सक्रियता प्रत्याशियों के चुनाव कार्यालयों में ज्यादा नजर आती थी। सब मीटिंग-मीटिंग खेल रहे थे। चुनाव प्रभारी और जिला अध्यक्ष एक दूसरे पर दोषरोपहण कर रहे है। रोहिणी सी वार्ड में बीजेपी जिला के गढ़ सेक्टर 24 में भी बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायी। जिला अध्यक्ष देवेंद्र सोलंकी यहाँ से निगम पार्षद भी रहे है और यही उनकी कर्म भूमि भी है। इस वार्ड में ने रिंकिया केक पापा ( मनोज तिवारी)  चले और ने टोटे-टोटे ( हंसराज हंस ). जनता पर स्थानीय नेताओं का चेहरा चला और ना ही बड़े नेताओं के आगमन का ही असर हुआ।  इसी तरह शालीमार बाग वार्ड में बीजेपी बीजेपी अपनी ही सीट बुरी तरह हार गयी। यहाँ जिला अध्यक्ष राजकुमार भाटिया फ़ैल हो गए। बीजेपी चुनाव कार्यालय में बैठकर ही मीटिंग कर योजना बनती दिखी। स्थानीय नेता बड़े नेताओं की नजर के सामने अपना चेहरा दिखाकर नंबर बनाते नजर आये। लेकिन जब परिणाम आया तो सभी नजरें चुराते नजर आये। बीजेपी नगर निगम उपचुनाव की पांच सीटों में एक भी सीट नहीं जीत पायी। 

बीजेपी के शीर्ष नेताओं को दिल्ली का इलाज समझ नहीं आ रहा है। भगवान श्री रामचंद्र को 14 वर्ष का वनवास हुआ था लेकिन दिल्ली बीजेपी 28 साल से सत्ता वापसी का सपना देख रही है। अब 15 साल से लगातार नगर निगम में राज कर रही बीजेपी को आम आदमी पार्टी कड़ी चुनौती दे रही है। दिल्ली नगर निगम उपचुनाव में करारी हार के बाद अब बीजेपी को आगामी वर्ष होने वाले नगर निगम चुनाव की चिंता सता रही है। यदि निगम चुनाव मैं हार का सामना करना पड़ा तो बीजेपी के लिए यह बेहद चिंताजनक नहीं बल्कि शर्मनाक स्थिति होगी। 

दरअसल बीजेपी  ने दिल्ली में सत्ता वापसी की उम्मीद विधान सभा चुनाव में हो छोड़ दी थी। बीजेपी हाईकामन यह मान चुका है की दिल्ली में बीजेपी की स्थिति इससे ज्यादा ख़राब नहीं हो सकती। बीजेपी ने कई प्रयोग किये। विगत नगर निगम चुनाव में सभी निगम पार्षदों के टिकट काट दिए और नए चेहरे नयी उड़ान का नाम देकर नए लोगों को टिकट दे दिए । जनता ने इसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बदलाव को मान फिर से मौक़ा दिया। लेकिन वह जीत इतनी बम्पर नहीं हो सकी जितनी बीजेपी उम्मीद कर रही थी। बीजेपी दिल्ली प्रदेश में भी पुराने नेताओं को दूर कर नए नेताओं को आगे लगाया गया। इससे बीजेपी के पुराने नेताओं में अंदर खाते नाराजगी हो गयी। बीजेपी का यह प्रयोग भी उलटा पड़ गया।

विगत दिल्ली विधान सभा चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह ने पूरा जोर लगा दिया बावजूद इसके बीजेपी दिल्ली में केजरीवाल लहार को रोकने में कामयाब नहीं हो सकी।  इसके बाद तो जैसे बीजेपी ने मान ही लिया की दिल्ली उनके पास रहे या न रहे कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल्ली को एलजी चला सकतें है। लेकिन बीजेपी को दिक्कत तब होने लगी जब देश के अन्य राज्यों में हो रहे चुनावों के दौरान दिल्ली में करारी हार पर सवाल उठाने शुरू हो गए। दिल्ली में लगातार हार पर बीजेपी के शीर्ष नेता शर्मिन्दा हो जाते है और लीपा पोती वाली सफाई देने की कोशिश करती नजर आती है। दिल्ली बीजेपी के आत्ममंथन के बाद भी हालत कुछ ठीक होंगे खुद बीजेपी नेताओं को इसकी उम्मीद नहीं है।

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