चेतन पाठक, संवाददाता
दिल्ली। दिल्ली में उपचुनाव की गरमा गर्मी उस समय से बनी हुई थी, जिस समय दिल्ली कूड़ा कूड़ा हो रही थी और सभी निगम कर्मचारी अपने बकाया वेतन की मांग कर हड़ताल पर बने हुए थे, इस बीच दिल्ली की आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, निगम में पिछले 15 साल से शासित भाजपा को घेर कर निगम में हुए भ्रस्टाचार और अन्य मसलों पर बात कर जनता के सामने लाने का प्रयास कर रहे थे। फिर चाहे वो भाजपा के केजरीवाल सरकार पर लगाए गए आरोप, जिसमें 13 हज़ार करोड़ के घोटाले वाला मामला हो या अन्य कई वो आरोप जिसमें आम आदमी पार्टी पलट वार कर भाजपा को लगातार घेरने का प्रयास कर रही हो।
इन सभी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति के बीच आने वाले उपचुनाव और 2022 में होने वाले चुनाव की झलक अब दिखने लगी थी। दिल्ली में 5 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सभी दलों ने अपने-अपने तरीके से प्रचार कर वोटर को अपनी और आकर्षित करने का भरपूर प्रयास किया। इसमें सभी दलों के वरिष्ठ नेता भी प्रचार करने से नहीं चुकें। इन सब को देख कर तो ऐसा लग रहा था, जैसे उपचुनाव अब नाक का सवाल बन चुके है। 28 तारिख को हुए मतदान में करीब 43% प्रतिशत वोटिंग हुई और अब कल यानि की 3 मार्च को उपचुनाव के नतीजे आने है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि किसका पलड़ा भारी रहता है और कौन निराश होकर वापसी करता है।
वैसे तो सभी 5 सीटों पर लड़ाई तेज़ है, लेकिन अगर बात करें वार्ड 32 n रोहिणी c की, तो इस सीट पर टक्कर काटें की है। आपको बता दें कि यहाँ आम आदमी पार्टी ने रामचंद्र को मैदान में उतरा है, जो पहले से विधायक भी रह चुके है। वहीं कांग्रेस ने 2 बार निगम पार्षद रही मेमवती बरवाला को टिकट देकर दिल्ली में वापसी करने की उम्मीद जताई है। इधर, बीजेपी से टिकट पा कर लड़ रहे राकेश गोयल पहले हुए चुनाव में काफी काम वोट के अंतराल से हार गए थे, लेकिन फिर इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर उम्मीद जताई है।