Saturday, December 28, 2024
spot_img
Homeब्रेकिंग न्यूज़Delhi में क्या फिर लगने वाला है 'जनता कफ्यू' ?

Delhi में क्या फिर लगने वाला है ‘जनता कफ्यू’ ?

जूही तोमर, संवाददाता

नई दिल्ली।। ‘जान भी और जहां भी’ की भावना के साथ आज से ठीक एक साल पहले देशभर में 22 मार्च के दिन जनता कर्फ्यू लगाया गया था। प्रधानमंत्री के आह्वान पर कोरोना से लोहा लेने की इस पहली मुहिम को लोगों ने भी सफल बनाया था। पूरे दिन लोग अपने घरों में रहे और शाम को पांच बजे ताली और थाली बजाकर कोरोना से जंग लड़ने वाले फ्रंट लाइन वर्करों को सम्मान दिया गया था। यह पहला ऐसा कर्फ्यू था जिसमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और आसाम से लेकर गुजरात तक एक भी आदमी सड़क पर नहीं दिखाई दे रहा था।लेकिन अब एक साल बाद वही हालात फिर से बनने की आशंका हर दिन बढ़ती जा रही है

आज के ही दिन गलियों में भी सन्नाटा पसरा हुआ था क्योंकि ऐसा अनुभव लोगों के लिए भी उस वक्त नया था जब सड़कों से लेकर गली कूचे तक हो गए थे चुप और हर ओर थी खामोशी ही खामोशी। जनता के लिए, जनता के द्वारा लागू इस कर्फ्यू का मकसद कोरोना वायरस को समुदायों के बीच फैलने से रोकना था। तब लोगों ने अपने घरों में रहकर संक्रमण के प्रसार को रोकने में अहम भूमिका अदा की थी। दिसंबर से लेकर फरवरी के बीच संक्रमण खत्म होता नजर आ रहा था, लेकिन अब एक साल बाद वही हालात फिर से बनने की आशंका हर दिन बढ़ती जा रही है। रोजाना कोरोना के रिकॉर्ड मामले चिंता बढ़ा रहे हैं। एक साल पहले कोरोना बचाव के लिए जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसमें जनता ने पूरा सहयोग दिया। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगा। इस दौरान लोगों ने एक ऐसा दौर जिया जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की। एक दूसरे को देखना मुश्किल हो गया। एक दूसरे को छूने तक में लोग भयभीत थे। हर शख्स कोरोना पीड़ित संदिग्ध दिखाई दे रहा था।

लोगों की चाह थी कि जिंदगी बच जाए तो बेहतर कल के साथ हर नियम और सबक याद रखेंगे। हालांकि एक साल बाद ही उस बुरे दौर की यादें धुंधली पड़ गईं हैं। पर अब वही तरीख है और वही समय चल रहा है, फिर लोगों के अंदर डर पैदा हो रहा है क्योंकि कही ना कही लॉकडाउन ने सभी को प्रभावित किया है।

दिल्ली में बीते साल 02 मार्च को संक्रमण का पहला मामला आया था। पहले 1 हजार मामले आने में 41 दिन का समय लगा था। इसका कारण था कि लोग कोविड से बचाव के नियमों का सख्ती से पालन कर रहे थे, लेकिन अब तस्वीर बदल रही हैं। प्रतिदिन 600 से ज्यादा केस आ रहे हैं। तब के मुकाबले कई गुना रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है। इसका प्रमुख कारण लोगों की लापरवाही है।बाजारों व सार्वजनिक स्थलों के अलावा परिवहन के साधनों में भी कोविड से बचाव के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। लोग बिना मास्क के घुम रहे हैं। कहीं भी शारीरिक दूरी का पालन भी नहीं किया जा रहा है। बुखार या खांसी, जुकाम होने पर खुद ही दवाई ले रहे हैं। लोगों की लापरवाही को देखते हुए प्रशासन ने अब सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। हालांकि, यह उस तरह लागू नहीं हो पा रही, जैसी पिछले साल थी। हालांकि दिल्ली के लोगों को एक दिन का जनता कर्फ्यू याद है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सख्ती की जा रही है। बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन न करने वालों के चालान काटे जा रहे हैं। साथ ही अलग-अलग स्थानों पर कैंप लगातर लोगों की जांच की जा रही है।

प्रतिदिन 75 हजार से ज्यादा टेस्ट हो रहे है। इनमे 60 फीसदी से ज्यादा आरटी-पीसीआर प्रणाली से किए जा रहे हैं। संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान भी तेज कर दी गई है। जो व्यक्ति भी संक्रमित मिल रहा है। उसे संपर्क में आए कम से कम 25 लोगों की पहचान कर उनकी कोरोना जांच की जा रही है। इसमें संक्रमित मिलने वालों को आईसोलेट किया जा रहा ।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments