अविशा मिश्रा, संवाददाता
नई दिल्ली। दिल्ली के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की खबरें लगातार सामने आ रही हैं और ऐसे में लोग आनन-फानन में बिना परामर्श के ऑक्सीजन ले रहे हैं। तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर आक्सीजन की ज़रूरत कब और कैसे किया जाना चाहिए।
बता दें कि वही डॉक्टरों ने ऐसे लोगों को चेताया है जो बिना परामर्श के ऑक्सिजन ले रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि ये खतरनाक हो सकता है। जानकारों की मानें तो डॉक्टरों की सलाह और मॉनिटरिंग के बिना इसके जल्दी इस्तेमाल से शरीर के दूसरे अंगों पर प्रभाव पड़ सकता है। खासकर वैसे मरीज जिनको फेफड़ों से जुड़ी कोई बीमारी हो।
जानकारों का मानना है ऑक्सिजन का लेवल 90 से नीचे जाने के बाद ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती है। इसके साथ ही जिनको फेफड़ों से संबंधित कोई बीमारी है तो उनको इसकी जरूरत पड़ती है।सामान्य मानव फेफड़ा 5 से 6 मिलीलीटरऑक्सिजन प्रति मिनट लेता है। वहीं पूरे शरीर को 250ml/min ऑक्सिजन की जरूरत होती है। वहीं जिसको फेफड़ों की बीमारी है उनको इससे चार गुना अधिक ऑक्सिजन की आवश्यकता पड़ती है।
हमारे शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा का मतलब हमारे खून में ऑक्सिजन की मात्रा है। अगर खून में मर्करी का 75 से 100 mm के बीच ऑक्सिजन है तो इसे सामान्य स्तर माना जाता है। लेकिन, ऑक्सिजनलेवल60 mm Hg से नीचे है तो इसे सामान्य से कम माना जाता है। तब आपको ऑक्सिजनसप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है।हम अपने श्वसन तंत्र के जरिए वातावरण में फैली हवा से ऑक्सिजन लेते हैं। यह ऑक्सिजन सीधे हमारे खून में जाता है जो हमारी रक्त वाहिकाओं के जरिए पूरे शरीर में पहुंचता है। कोविड के कारण कई मरीजों में फेफड़े डैमेज होने की खबरें आ रही हैं।