Monday, May 6, 2024
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दिल्ली- स्व.पासवान के जन्मदिन पर चिराग की “आशीर्वाद यात्रा” के जबाब में पशुपति पारस की “श्रद्धांजलि सभा

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष कौन हो, इस पर स्व. रामबिलास पासवान की पुत्र चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच घमासान मचा है। पार्टी संविधान और देश के संविधान का हवाला देकर दोनों अपने अपनी दावेदारी के साथ चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटा रहे है। इस सब के बीच 5 जुलाई को लोजपा के संस्थापक स्व. रामबिलास पासवान का जन्मदिन भी है। चिराग इस मौके पर बिहार में “आशीर्वाद यात्रा” निकाल रहे है। दो महीने तक चलने वाली यह आशीर्वाद यात्रा समस्त बिहार के गांव -गांव तक पहुंचेगी। जाहिर है चिराग अपने पिता के नाम का सहारा लेकर बिहार के लोगों में इमोशनल कार्ड खेलकर अपनी ताकत दिखाना चाहतें है।

खबर है कि यह ताकत वे केवल अपने चाचा को ही नहीं बल्कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को भी दिखाना चाहतें है। खुद को पीएम मोदी का हनुमान कहने वाले चिराग बेशक खुलकर कुछ भी न कहें लेकिन उन्हें दर्द है कि मोदी अपने भक्त का पक्ष नहीं ले रहे है। लोकसभा में भी लोजपा नेता के रूप में पशुपति पारस को ही मान्यता मिली है। इस आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से मोदी के यह हनुमान अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश करेंगे। चिराग पासवान की इस “आशीर्वाद यात्रा ” पर पशुपति कुमार पारस सलाह दे रहे है कि लोजपा को इस दिन श्रद्धांजलि सभा आयोजित करनी चाहिए। इस दिन संकल्प लेना चाहिए कि हम सब मिलकर पार्टी को लोकतांत्रिक तरीके से मजबूत करेंगे।

पशुपति पारस ने दिल्ली दर्पण टीवी से बात करते हुए कहा कि वे खुद पटना में स्व.पासवान की “श्रद्धांजलि सभा ” सभा का आयोजन करेंगे। पशुपति पारस ने कहा की स्व.रामबिलास पासवान हमारे आदर्श है और हमेशा आदर्श रहेंगे। आज वे होते और बिहार चुनाव में पार्टी दुर्गति न होती। पशुपति पारस ने कहा कि चिराग एक शख्स के हाथों की कठपुतली बन गए थे। पार्टी में प्रजातंत्र ख़त्म हो रहा था। नितीश को बर्बाद करने की कोशिश में पार्टी को बर्बाद कर दिया। चुनाव हारने के बाद नैतिकता के आधार पर चिराग को इस्तीफा दे देना चाहिए था। लिहाज़ा पार्टी के नेताओं को मिलकर यह कदम उठाना पड़ा। पार्टी में कहीं कोई गुटबाजी नहीं है। नेर्तत्व परिवर्त गुटबजी नहीं होती। बहरहाल चिराग पासवान पुरे अग्रेसिव मोड और मूड और में चाचा के खिलाफ जंग का ऐलान कर चुकें है। वे खुलकर कह रहे है कि चाचा कहीं के नहीं रहेंगे। चिराग के जबाब में पशुपति कहतें है कि पार्टी के नेताओं को डर था की कहीं पार्टी कहीं की न रहे। यही वजह है की पार्टी नेताओं ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष का चुनाव किया है। 

लोक जन शक्ति पार्टी का बंगला किसके पास होगा इस तस्वीर को साफ़ होने में समय लगेगा। लेकिन इस बीच दोनों के बीच शक्ति परीक्षण के प्रयाश तेज़ हो गए है। चिराग की आशीर्वाद यात्रा के जबाब में पशुपति पारस की “श्रद्धांजलि सभा “को इसी रूप में लिया जा रहा है। जाहिर है बीजेपी भी इसी इंतजार में है की दोनों में से लोजपा का बहुमत किसके पास होगा। संभवतया मंत्री परिषद का विस्तार भी शायद उसके बाद हो पाए । जिसमें यह तय होगा की लोजपा के कोटे का मंत्री कौन होगा पशुपति पारस या चिराग पासवान। .? 

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