नेहा राठौर, संवाददाता
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस की मांग ने सभी अभिभावक को परेशानी में डाल दिया है। 31 मई को दिल्ली हाईकोर्ट से प्राइवेट स्कूलों को डेवलपमेंट फीस और एनुअल फीस लेने की अनुमति मिलने के बाद स्कूलों ने अभिभावकों से मोटी फीस की मांग करनी शुरू कर दी है। ऐसे में मंगलवार को दिल्ली सरकार समेत जस्टिस फॉर ऑल ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
इस पर दिल्ली के शिक्षा निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर योगेश पाल सिंह ने बाताया कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा बढ़ाई जा रही फीस के मामले में शिक्षा निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। वहीं, इस पर जस्टिस फॉर ऑल की सेक्रेटरी शिखा शर्मा बग्गा का कहना है कि प्राइवेट स्कूल जो फीस मांग रहे है वह दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित नहीं है। हाईकोर्ट के मुताबिक प्राइवेट स्कूल को ट्यूशन, डेवलपमेंट और एनुअल फीस में 15 प्रतिशत छूट दी गई है। जबकि स्कूल ये छूट सिर्फ डिवेलपमेंट और एनुअल फीस में ही दे रहे हैं। जोकी सबसे कम है। वहीं, स्कूल बच्चों के अभिभावकों से उस सर्विस चार्ज की भी मांग कर रहे है, जो स्कूल बंद होने के कारण बच्चों को कभी मिली ही नहीं है। इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है।
जस्टिस फॉर ऑल के मुताबिक आज इन आठ स्कूलों ने फीस को लेकर नोटिस जारी किया है। कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल, एम.एम पब्लिक सकूल (पीतमपुरा), एपीजे स्कूल शेख सराय, एपीजे स्कूल साकेत, डीपीएस द्वारका, वेद व्यास दाव, पी पी अंतराष्ट्रीय विद्यालय। मामले में पी पी अंतराष्ट्रीय विद्यालय में पढ़ने वाले एक बच्चे के पैरंट्स ने बताया कि इस बार स्कूल ने पिछले पूरे एक साल की डेवलपमेंट और एनुअल चार्ज की मांग की है। जो 90 हजार से ऊपर है। स्कूल ने इस भरने के लिए 6 इंस्टॉलमेंट का विकल्प भी दिया है। स्कूल में पहला इंस्टॉलमेंट भरने के लिए सभी अभिभावकों को 20 जून तक का समय दिया गया है। बड़ी बात तो यह है कि स्कूल ने इसमें मेस चार्ज और ट्रांसपोर्टेशन चार्ज को भी जोड़ा है। जब पिछले डेढ़ साल से स्कूल खुले ही नहीं तो ये चार्ज किस बात का लिया जा रहा है। इन सब से पैरंट्स काफी परेशान है। पहले तो कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में कोई कमाई नहीं हुई और अब बढ़ती फीस ने बोझ को और बढ़ा दिया है।