Thursday, November 7, 2024
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ज्योति रछोया का शक्ति प्रदर्शन अभी बाकी है…

पुनीत गुप्ता, दिल्ली दर्पण टीवी

नांगलोई, वार्ड 37 से निगम पार्शिदा ज्योति रछोया आज कल सुर्खियों मे है राजनैतिक दल चाहे कोई भी हो लेकिन ज्योति रछोया की चर्चाएं हर जगह है और हो भी क्यों ना काम ही ऐसा किया है। पहले नरेला ज़ोन चुनाव में अपनी नाराजगी जाहिर की और वोटिंग का बहिष्कार किया नतीजा यह रहा कि भाजपा बहुमत में होकर भी अपना जोन चेयरमैन नहीं बना पाई, उसकी ठिस पूरी दिल्ली भाजपा में देखी गयी, भाजपा इस हार पर कोई जवाव नहीं दे पा रही। इसके बाद ज्योति रछोया ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा को पत्र लिख अपनी शिकायतें उन तक पंहुचाई जिसमें उन्होंने कुछ भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए और अपनी पाक साफ छवि की चर्चा की।

अब ज्योति रछोया के इसलिए पत्र को भाजपा पचा नहीं पा रही है और विपक्ष इसका पूरा फायदा भी उठा रहा है। हर जगह ज्योति रछोया और रछोया परिवार का जिक्र है। भाजपा अब सोचने पर मज़बूर है कि चुनावी साल में अपने नेताओं की अगर सुन ली होती तो ज्यादा अच्छा था।

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आम आदमी पार्टी की प्रेस कॉन्फ्रेंस मे भी ज्योति रछोया के आरोपों का जिक्र होता रहता है। शायद आने वाले समय में यह पार्टियां खुल कर ज्योति रछोया के समर्थन में भी आ सकती है।

अब 18 जुलाई इतवार को ज्योति रछोया संत रविदास मंदिर में वार्ड की महिलाओं के लिए बड़ा कार्यक्रम भी करने जा रही है, जिसमें 400 से अधिक महिलाओं के आने की उम्मीद है, ज्योति रछोया ने बताया कि मंदिर मे गंगा पूजा करके सभी महिलाओं को विधिवत रविदासी महिलायें बनाया जायेगा। उसके बाद शिव गंगा मंदिर में पूजन के बाद मंदिर को 1,10,000 की धन राशि भी दान करेंगी लेकिन मंदिर द्वारा रसीद मिलने पर है यह दान दिया जायेगा ताकि दान में भी पारदर्शिता लायी जा सके।

ज्योति रछोया के इस कार्यक्रम को राजनैतिक नज़रिये से शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है। सभी राजनैतिक पार्टियों की नज़र इस सामाजिक कार्यक्रम पर जरूर होंगी। पार्टी की अनदेखी की शिकायत करने वाली ज्योति रछोया अपने वार्ड में अच्छी पकड़ रखती है और इस तरह के प्रोग्राम करती भी रहती है।

चुनावी साल है तो राज़ी और नाराजगी तो पार्टियों के अंदरखाते चलती ही रहती है लेकिन यह नाराजगी खास इसीलिए भी है क्यूंकि 2022 में होने वाले एमसीडी चुनावों मे भाजपा के पास पहले ही कुछ ज्यादा उपलब्धिया नहीं है और ऐसे ही निगम पार्षद अलग होते रहे तो यह चुनाव भाजपा के लिए बड़ा सर दर्द बन सकता है।

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