नेहा राठौर
हरियाणा सरकार को दिल्ली में पानी की कमी के लिए जिम्मेदार ठहराने वाली दिल्ली जल बोर्ड की याचिका को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने एक मामले पर बार-बार याचिका दायर करने पर जल बोर्ड को फटकार लगाते हुए कहा कि हमारी गठित कमिटी की रिपोर्ट है कि दिल्ली को सही मात्रा में पानी मिल रहा है। अगर इसके बाद भी कोई परेशानी है तो हरियाणा सरकार से बात कर खुद सुलझाएं।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा के मुख्य सचिव विजय वर्धन, अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेंदर सिंह और राज्य के सिंचाई और जल संसाधन विभाग के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की थी। जल बोर्ड ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 1996 में दिए गए एक फैसले का हरियाणा सरकार पालन नहीं कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के मुताबिक दिल्ली के वजीराबाद जलाशय को उसकी पूरी क्षमता तक भरे रखना हरियाणा की जिम्मेदारी है। लेकिन लगातार हरियाणा की तरफ से किस्तों में भेजा जा रहा है। आदेश के मुताबिक जलाशय को 674.5 फीट तक भरा होना चाहिए। लेकिन उसका स्तर सिर्फ 667.6 फीट ही है।
वहीं हरियाणा सरकार के वकील श्याम दीवान ने इस याचिका के विरोध में कहा कि ज्यादातर दिन दिल्ली को उसकी जरूरत से ज्यादा पानी दिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में जब आदेश दिया था तब पानी यमुना नदी के जरिए आता था। अब दिल्ली में पानी एक नहर और 2 बड़ी पाइप लाइन से भेजा जाता है। परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं। दिल्ली ऐसा भी तो कर सकती है की वह खुद को मिल रहे पानी को अलग-अलग संयंत्रों में भेज दे और फिर वजीराबाद जलाशय में पानी कम होने का हम पर आरोप लगाए। वजीराबाद जलाशय को भरे रखना भी तो दिल्ली का ही काम है।
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