नेहा राठौर
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फेसबुक द्वारा दिल्ली विधानसभा की कमेटी के एक समन के खिलाफ दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा की शांति और सौहार्द समिति के पास पूरा अधिकार है कि वह फेसबुक के अधिकारियों को किसी भी मसले पर समन भेज सकती है।
कोर्ट ने कहा कि समिति के पास किसी भी मसले पर सवाल करने का पुरा अधिकार है, लेकिन वह सिर्फ सवाल कर सकती है, कोई सज़ा नहीं सुना सकती। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा की कमेटी द्वारा भेजे गए समन को रद्द करने से मना कर दिया।
इसका मतलब है कि अब दिल्ली विधानसभा की कमेटी के सामने फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट अजित मोहन को पेश होना ही पड़ेगा। यह समन फेसबुक को दिल्ली हिंसा में उसके रोल और उसके प्लेटफॉर्म के किए गए उपयोग को लेकर भेजा गया है। कमेटी इस मामले में फेसबुक से कुछ सवाल करना चाहती है, हालांकि वह इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी।
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया के पास बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने की शक्ति है, उसमें बॉर्डर नहीं है। समाज का बड़ा तबका किसी भी मैसेज को वेरीफाई करने से पहले एक बार सोचता भी नहीं है। ऐसे में कोर्ट ने फेसबुक द्वारा की गई अपील को काफी प्री-मैच्योर बताया है, क्योंकि अभी तक समन के अलावा और कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
इसी के साथ कोर्ट ने यह भी कहा कि न तो कमेटी कोई जांच शुरू कर सकती है और न ही अपने अधिकारों से हटकर कोई आदेश दे सकती है। ऐसे में फेसबुक अधिकारी किसी कमेटी द्वारा भेजी गई किसी भी पेशी से इनकार कर सकते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सौहार्द समिति ने दिल्ली में साल 2020 में हुई हिंसा लेकर फेसबुक के अधिकारियों को समन भेजा था, जिसके विरोध में फेसबुक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।