–दिल्ली दर्पण टीवी
शालीमार बाग़ –कुछ दिन पहले शालीमार बाग़ इलाके में आकाश नाम के एक शख्स के घर के बाहर बदमाश हथियार हथोड़ा लेकर आतें है। घर में कब्जा करने की कोशिश करते है। पीड़ित बार बार पुलिस को फ़ोन करता है लेकिन जैसे ही पुलिस आती है वे भाग जाते है। थाना पुलिस से निराश आकाश मामले की शिकायत डीसीपी को भी लिखित रूप में करता है लेकिन उस पर कार्यवाही होने के बजाये उलटे मकान मालिक पर ही कई मामले दर्ज़ हो रहे है। शालीमार बाग़ थाना पुलिस की एसी दबंगई बेहद हैरान करनी वाली है। पिछले एक महीने से लगता है फिर उसके घर पर हमले हो रहे है लेकिन पुलिस दूर खड़ी तमाशा देख रही है।
मामला शालीमार बाग़ में बीए -97 में रह रहे आकाश गुप्ता का है। इस घर में आकाश जन्म से रहा है। यह घर उनके पिता स्वर्गीय घनपत राय गुप्ता के नाम है। आकाश चार बहन भाई है। इनके बीच प्रॉपर्टी हिस्सेदारी का मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है। इस बीच इनके ऊपर रहे आकाश के भाई ने दो अलग अलग लोगों को कथित रूप से फ़र्ज़ी तरीके से अपना हिस्सा बेच दिया। इसका मामला भी कोर्ट में चल रहा है। लेकिन इस बीच जिस बिल्डर को आकाश ने अपना हिस्सा बेचा है वह बार बार गुंडों की मदद से दरवाजे तोड़ने को कोशिश करता है। मीडिया के आने के बाद वह भाग भी जाता है। सब कुछ सीसीटीवी में कैद है लेकिन पुलिस एक तरफ़ा कार्यवाही कर उलटेआकाश के खिलाफ मामले दर्ज़ कर रही है। आकाश का कहना है यह इस घर में तीन भाई और एक बहन का हिस्सा है। एक भाई नवीन को बिना सबकी सहमति के बेचने का अधिकार नहीं है। नवीन को उनके पिता ने जायदाद से पहले ही बेदखल कर दिया था। लेकिन पुलिस इस तथ्य को देखने और सुनाने को तैयार नहीं है।
इस मामले में दिल्ली दर्पण टीवी ने डीसीपी नार्थ वेस्ट उषा रंगनानी से भी बात की। डीसीपी के अनुसार घर में यथा स्थिति है। मामला कोर्ट में है और कोर्ट के आदेश को अम्ल में लाया जाएगा। बहरहाल डीसीपी चाहे कुछ भी कहे लेकिन हक़ीकते यह है कि स्थानीय पुलिस कोई भी कानूनी पहलू देखने को तैयार नहीं है। अब जब जैसे ही दिल्ली के पुलिस कमिशनर बदले गए आकाश के घर में तोड़फोड़ कर कब्जा करने के लिए 25 से 30 लोग आ गए। पुलिस को बार बार फ़ोन करने के बावजूद भी कोइ आने को तैयार नहीं है। यकीन है की शाम तक इस घर पर कब्जा हो जाएगा। सीसीटीवी फुटेज के बावजूद भी कोई कार्यवाही होगी इसमें सन्देश है। आकाश घर से भागा भागा फिर रहा है। ऐसे मामले जब सामने आतें है तो पुलिस पर से भरोसा ही उठ जाता है। सवाल है की अगर यह कोर्ट के आदेश से हो रहा है तो फिर पुलिस की मौजूदगी में क्यो घर पर कब्जा नहीं दिलाया जा रहा है। बहरहाल दूसरे पक्ष की दलित आने बाकी है।