-दिल्ली दर्पण ब्यूरो
दिल्ली सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति ओबीसी कर्मचारी परिसंघ ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का सडक से लेकर कोर्ट तक पुरजोर विरोध करने का मन बना लिया है! परिसंघ के संयोजक वी के जाटव का कहना है कि दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति’‘चारों निगमों को कंगाल कर देगी। इसलिए कर्मचारियों के हित में ‘सड़क से कोर्ट तक नई आबकारी नीति का विरोध’किया जाएगा। उन्होने अपने अन्य साथियों के साथ पत्रकारो को कहा कि ‘रात तीन बजे तक शराब पिलायेंगे केजरीवाल, फ़िर बढ़ते अपराध का ज़िम्मेदार कौन’होगा। ‘दिल्ली सरकार की आबकारी नीति सरकारी निगमों में ताले लगवा देगी और यही कारण है कि ‘दिल्ली की नई आबकारी नीति जन विरोधी, निगम विरोधी, कर्मचारी विरोधी’ है.
इस मौके पर परिसंघ के संयोजक के साथ 600 शराब की दुकानों को चला रहे चारों निगमों के कर्मचारी प्रतिनिधि भी मौजूद थे। जाटव ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को हर तरह से नुकसानदेह बताया और कहा कि दिल्ली सरकार नई नीति को पूर्णरुपेन लागू करती है तो ये न केवल निगम कर्मियों बल्कि पूरी दिल्ली के लिए घातक साबित होगा. दिल्ली सरकार के ये चारों निगम राजस्व के लिए शराब की दुकानों की आमदनी पर निर्भर हैं और ऐसे में हजारों परिवारों पर अस्तित्व बचाने का संकट आ जायेगा! कर्मचारियों को ये डर है कि नई आबकारी नीति के लागू होने पर कर्मचारियों की छंटनी की जाएगी और उनको सरप्लस घोषित कर जबरन वर्तमान निगम से ट्रांसफर कर अन्य निगमों में भेजा जाएगा या (कम्पलसरी) अनिवार्यतः वीआरएस दे दी जाएगी।दिल्ली पर्यटन, दिल्ली सिविल सप्लाई, दिल्ली कंजूमर एवं दिल्ली औद्योगिक निगम के कर्मचारी प्रतिनिधियों ने कहा कि यदि दिल्ली सरकार 20 फीसद वृद्धि के लिए प्राइवेट प्लेयर्स को दिल्ली में लाना चाहती है तो हम राजस्व में 30 फीसद वृद्धि करके देंगे जिसके लिए अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता है. शराब की होम डिलीवरी की योजना का हम स्वागत करते हैं, इससे यकीनन ही राजस्व बढेगा लेकिन इसके लिए सरकारी दुकानों का निजीकरण करने की ज़रूरत नहीं है। दिल्ली में 500 दुकानें सरकारी हैं और हर वर्ष 5 फीसद की बढ़ोतरी के साथ सरकार को हजारों करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है इसीलिए अपने कर्मठ कर्मचारियों की निष्ठा पर शक ना किया जाए।