-दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नार्थ वेस्ट दिल्ली -दिल्ली में स्वतंत्रा दिवस पर शान्ति और सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली पुलिस पूरी तरह मुस्तैद और सावधान है कि कहीं भी कोई अप्रिय घटना न घाटे। नॉर्थन रेंज ने भी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कमर कसी हुयी है।
पुलिस की गंभीरता का अंदजा इसी से लगाया जा सकता है कि स्पेशल सीपी संजय सिंह और संयुक्त आयुक्त नॉर्थन रेंज एसएस यादव खुद सभी इंतजामात पर गहरी नजर रखे हुए है। हर जिला डीसीपी को निर्देश है की वे संवेदनशील स्थानों , सड़क, वाहनों ,सार्वजानिक स्थानों ,धार्मिक स्थलों , होटलों और मार्किट पर गहन नजर और सख्ती और सावधानी से चेकिंग करें। साइबर कैफ़े,नौकर ,किरायेदार की जांच और सत्यापन संजीदगी के साथ करें। फुटपाथ दुकानदारों टेक्सी ऑटो ड्राइवर्स को दिल्ली पुलिस की आँख और कान योजना में भागीदार बनाएं।
इस सबसे अतिरिक्त सैकेंड हैंड कार डीलरों और मोबाइल व सिम कार्ड बेचने वालों पर भी गहन जाँच और निगरानी के आदेश दिए है। इसी कड़ी में सिम कार्ड बेचने वालों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही थी। इसी निगरानी के परिणाम स्वरूप नार्थ वेस्ट जिला पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। नार्थ वेस्ट जिला पुलिस के साइबर सेल ने नकली सिम कार्ड गैंग का भंडाफोड़ कर 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों के नाम आयुष वधवा ,अरुण कुमार , प्रीतम कर उर्फ़ बापून तपन प्रधान , अभिषेक चावला , व भूपेश उर्फ़ निमित गाबा है। गिरफ्तार किये गए लोगों में तपन प्रधान व प्रीतम कर उर्फ़ बापून उड़ीसा के रहने वाले है बाकी सभी आरोपी दिल्ली के ही निवासी है। पुलिस ने इनके कब्जे से 1549 सिम कार्ड , फ़र्ज़ी आईडी से लिए गए 23 मोबाइल और 5 लेपटॉप बरामद किये है।
नकली सिम कार्ड भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा ख़तरा होते है। चाहे लूट ,डैकेती रंगदारी करने वाले शातिर अपराधी हो या फिर आतंकवादी, ये फ़र्ज़ी आईडी पर ली गयी सिम ही उपयोग करते है। लिहाज़ा नार्थ वेस्ट जिला पुलिस डीसीपी ऊषा रंगनानी के निर्देश थे की इन पर भी खास नजर जाये। इसी का परिणमा रहा की पुलिस के हत्थे यह बड़ी कामयाबी हाथ लग गयी। यह पुलिस को यह बड़ी सफलता अचानक हाथ नहीं लगी। जिले की साइबर सेल कई दिनों से सिम कार्ड डीलरों की दुकानों पर चेकिंग अभियान चलाये हुए थे। इसी कड़ी में साइबर सेल को दो लोगों की सूचना मिली की वे फ़र्ज़ी आईडी पर नकली सिम कार्ड की आपूर्ति करते है। पुलिस इस लीड पर तेज़ी से काम रही थी इसी दौरान पुलिस को एक ऑटो में दो लोगों को पकड़ा और उनके कब्जे से 1099 सिम कार्ड बरामद हुए।
पूछताछ में इनकी पहचान आयुष वधवा उम्र 22 साल आदर्श नगर निवासी और अरुण कुमार उम्र 21 वर्ष निवासी समय पुर बदली के रूप में हुयी। पूछताछ के दौरान इन्होने खुलासा किया कि इन्होने ये सिम कार्ड जाली दस्तावेजों के आधार पर दिल्ली से बहार के सिम कार्ड हासिल किये और इन सिम कार्ड का उपयोग ईमेल आईडी बनाने के लिए किया जाता है। इन ईमेल आईडी का उपयोग ऑन लाइन शॉपिंग पोर्टल जैसे एमआई स्टोर , सैमसंग ,स्नेपडील आदि से खरीददारी करने के लिए किया जाता है। इसके बाद ये लोग इन ऑन लाइन शॉपिंग पोर्टल से रियायती दरों पर मोबाइल फ़ोन प्राप्त करते और बाजार में बेच देते थे। यह भी पता चला की ये सिम कार्ड साइबर अपराध करने वाले धोखेबाजों को भी बेचे जा रहे थे। पुलिस ने इस गैंग के चैन को भी दबोचने में कामयाबी पाई है। इनसे पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पुर पुलिस इन सिम कार्ड के मालिक भूपेश उर्फ़ निमित गाबा को भी गिरफ्तार कर लिया। भूपेश रोहिणी का रहने वाला था। भूपेश ने पुलिस को बताया कि वह ये सिम कार्ड हरियाणा हिसार के रहने वाले अभिषेक चावला उर्फ़ नोनू से खरीद रहा था। पुलिस ने नोनू को भी हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया। अभिषेक चावला पहले भी ऐसे ही मामले में गिरफ्तार हो चुका है और उसके पास से करीब चार हज़ार मोबाइल सिम बरामद हुए थे।
सीडीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार अभिषेक ही इस गैंग का मास्टर माइंड है। पुलिस ने इनसे मिली जानकारी के आधार पर दो और लोगों प्रीतम कर और तपन प्रधान को उड़ीसा से गिरफ्तार किया। इनके कब्ज से पुलिस ने 200 सिम कार्ड और दो मोबाइल फ़ोन जब्त किये है। स्वतंत्रा दिवस पर इस गिरोह का गिरफ्त में आना सचमुच बड़ी कामयाबी है।
इस तरह के गिरोह ने केवल आतंकवादियों को मददगार होते है बल्कि आपराधिक वारदातों को अंजाम देने में भी सिम सिम कार्ड इस्तेमाल होते है। साइबर अपराध के लिए तो इस तरह के कार्ड ही ज्यादातर इस्तेमाल किये जानते है। अपराध करने के बाद फ़र्ज़ आईडी से लिए गए सिम कार्ड अपराधियों बचाये रखने में बड़ी भूमिका निभाते है। कहना मुश्किल है की इस गिरोह द्वारा बेचे गए सिम कार्डों से किस तरह की वारदात हो चुकी है या फिर स्वतंत्रा दिवस पर हो सकती थी। बहरहाल पुलिस आगे जांच में लगी हुयी है।