नेहा राठौर
नॉर्थ दिल्ली के अशोक विहार इलाके में एमसीडी की दादागीरी बढ़ती ही जा रही है। दरअसल, इलाके के लोगों ने बीजेपी शासित एमसीडी पर अवैध रूप से चल रही दुकानों और शोरुम को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लाए हैं।
लोगों का कहना है पिछले कई समय से इलाके में कई बड़ें-बड़े शोरुम और दुकानें अवैध रूप से बेसमेंट में चलाई जा रही है। खुलेआम नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन नगर निगम इन दुकानों और शोरूम के खिलाफ कोई कार्रवाही नहीं कर रहा है। न तो यहां नेताओं का ध्यान जाता है और न ही यहां के अधिकारियों का। उलटा नगर निगम उन शोरूम और दुकानों को बंद करवाने की बजाय छोटी-छोटी दुकानों को अवैध बता कर सील कर देती है। जब दुकानदार अपनी आवाज उठाते हैं तो उनकी दुकानों की लाइट कटवी दी जाती है।
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जब इस पर केशवपुरम जोन के चेयरमैन योगेश वर्मा से बात कि गई तो उन्होंने कहा कि जब हमारे पास ऐसा कोई भी मामला आता है, तो हम तुरंत कार्रवाही करते हैं। क्योंकि कानून सबके लिए बराबर है। लेकिन हम बिना शिकायत के कुछ नहीं कर सकते। वही, आप के विपक्ष नेता विकास गोयल ने इस पर कहा कि विपक्ष तो हर बार से भ्रष्टाचार के मामलों को उठाता आया है। कोई एक कह रहा है कि यह मामला एमसीडी के संज्ञान में नहीं है ऐसा हो ही नहीं सकता। इलाके में अगर एक ईंट भी लगती है तो एमसीडी को पता चल जाता है। कहीं भी कुछ होता है तो पहुंच जाते हैं, लेकिन अपनी जेबे गर्म करने के लिए कार्रवाही करने के लिए नहीं, तो ऐसा तो हो ही नही सकता की एमसीडी को इस बारे में कुछ पता ना हो।
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि एमसीडी जानबूझ कर छोटी-छोटी दुकानों को सील कर देती है या इसके पीछे एससीडी के साथ किसी और का भी हाथ है। क्या कारण है कि एमसीडी बड़ी दुकानों को सील नहीं कर रही है, वो भी ये जानते हुए कि शोरूम और बड़-बड़ी दुकानें अवैध रूप से चल रहे है। छोटी दुकानों के दुकानदारों ने बताया कि इनकी वजह से ट्रेफिक जाम और पार्किंग को लेकर आए दिन झगड़ों की शिकायत आती रहती है।
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