बबीता चौरसिया
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के हरिनगर इलाके के एक 26 साल के युवक की डेंगू की वजह से मौत हो गई। दो दिनों तक युवक के परिजन अस्पतालों में भटकता रहा। बेड न मिलने और समय पर इलाज न हो सकने के कारण उसकी हालत नाजुक होती चली गई और जब उसको प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वहां पर उसको डॉक्टर बचा नहीं सकें।
बता दें कि 25 अक्टूबर की रात हरिनगर निवासी कृष्ण कुमार अपने बेटे आतिश को लेकर डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचे थे। जहां पर मरीज को तड़के 4ः10 बजे पर कुछ इंजेक्शन लगा कर, यह कह कर वापस भेज दिया गया कि अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है। इसके बाद आतिश को लेकर परिवार वाले द्वारका सेक्टर-3 में सुबह 5ः30 बजे एक प्राइवेट अस्पताल में ले गए। तब तक मरीज की हालत काफी नाजुक हो चुकी थी। जहां पर कुछ ही मिनटों बाद 26 वर्षीय आतिश की सांसें बंद हो गई।
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इससे पहले आतिश के माता-पिता 24 अक्टूबर को रात 10 बजे आतिश को लेकर दीनदयाल अस्पताल पहुंचे गए थे, लेकिन वहां हालात बहुत खराब थे। एक बेड पर 2 से 3 मरीज थे। ऐसे में उसके माता-पिता डर गए और डीडीयू से निकालकर जनकपुरी के माता चानन देवी अस्पताल अतिश को भर्ती करवाने के लिए गए, लेकिन वहां पर भी बेड नहीं मिला। जिसके बाद डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल ले गए। जहां पर उसे कुछ दवाइयां दी गईं, लेकिन भर्ती करने से मना कर दिया। इसके बाद परिजन उसे द्वारका लेकर गए, लेकिन वह अपने बेटे को बचा नहीं पाए।
आपको बता दें कि आतिश अपने मां-बाप का इकलौता बेटा था। उसने हाल ही में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। आतिश के माता-पिता जब अपने बेटे को डीडीयू अस्पताल लेकर गए थे, तो उसकी प्लेटलेट्स 11 हजार के करीब थी। अगर समय से इलाज हो जाता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।
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