ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता ने वर्ष 2018 को कांगड़ा हिल्स में शहीद हुए स्क्वाड्रन लीडर मीत कुमार के परिजनों से मिलकर एक करोड़ रूपए का चेक सौंपा। 18 जुलाई, 2018 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पहाड़ियों पर मिग-21 लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें भारतीय वायु सेना के पायलट मीत कुमार की मौत हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की थी कि देश के लिए सेवा करते हुए शहीद होने वाले जवानों को दिल्ली सरकार एक करोड़ रूपए देगी। इसी घोषणा के चलते क्षे़त्र के विधायक राजेश गुप्ता ने अशोक विहार स्थित शहीद के परिवार जनों से भेंट की और उन्हें एक करोड़ का चेक भेंट किया। इस मौके पर विधायक राजेश गुप्ता ने कहा कि शहीद मीत कुमार मिग-21 उड़ाते हुए शहीद हो गए थे। हम उनके घर आए। उनके पिताजी, पत्नी और बच्ची से मिले। हमने 60 लाख का चेक उनकी पत्नी नैनी गुप्ता को तथा 40 का चेक शहीद के पिताजी को सौंपा है।
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राजेश गुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पीड़ित को भुगतान में देरी न हो लेकिन औपचारिकता पूरी करते-करते समय लग जाता है। केजरीवाल इसके लिए एक कोष बनाना चाहते हैं जिससे देरी न हो और पीड़ित को शीघ्र पैसा मिल जाए। मुख्यमंत्री की सोच है कि लोगों को मदद मिले। उन्हें यह डर न सताए कि कुछ हो गया तो परिवार का क्या होगा।एयरफोर्स में अधिकारी मीत कुमार की पत्नी नैनी गुप्ता ने कहा कि मेरे पति फाइटर पायलट थे। उन्होंने देश की सेवा करते हुए अपनी जान दे दी। वे देश के लिए शहीद हो गए। वह किसी ऑपरेशन के लिए गए थे। कांगड़ा हिल्स में उनका प्लेन क्रैश हो गया। उस दिन मौसम खराब था।
नैनी गुप्ता ने कहा कि मेरे पति 2009 में कमिशनिंग अफसर बने थे। उनकी सेवा को 11 साल ही हुए थे। एयर फोर्स की ट्रेनिंग आसान नहीं होती। लोग बीच में छोड़कर चले जाते हैं। फाइटर पायलट की ट्रेनिंग बहुत मुश्किल है। एक बच्ची की मां नैनी गुप्ता ने बताया कि मेरे पति ने वही काम किया, जो वे पसंद करते थे। मुझे मेरे पति पर गर्व है। मेरी बच्ची ने छोटी उम्र में ही अपने पिता को खो दिया। मेरी बच्ची भी अपने पिता की तरह फाइटर पायलट बनना चाहती है।मीत कुमार के पिता प्रवीण कुमार कहते हैं कि वह बचपन से ही बहुत प्रतिभाशाली था। वह जो चीज चाहता था, ले लेता था। कॉलिज में मोटर साइकिल पर जाना है जो मोटर साइकिल ली। उसे स्पीड का शौक था।
कैंट में मेरे और मेरे पिताजी के साथ घूमता था। उसे वर्दी का शौक था। उसका चयन होता गया। हम मना करते रहे लेकिन वह अलग ही किस्म का था। वह जो चाहता था, करता था। शादी भी अपनी मर्जी से की। दोनों कॉलिज में पढते थे।
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