Thursday, November 21, 2024
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क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

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शरद पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर में सभी पूर्णिमाओं में से सबसे महत्वपूर्ण है जिसे अगेज़ी में Poornima Moonrise Time भी कहा जाता है। हिंदू केलंडर के अनुसार यह अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। मानयता है कि इस रात चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। साथ ही इस रात को चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है और उसकी दुधिया रोशनी से पूरी धरती आलौकिक हो उठती है।

शरद पूर्णिमा की रात को खूले आसमान के नीचे खीर रखी जाती है जिससे वह अमृत के समान हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को आसमान से अमृत की वर्षा भी होती है। मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान मां लक्ष्मी के जन्म हुआ था। जिन्हें धन, वैभव का प्रतीक भी कहा जाता है। आज की रात मां लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती है और अपने सभी भक्तों पर कृपा भी बरसाती है।

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हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष शरद पर्णिमा 19 अक्टूबर रात 11:41 बजे से 20 अक्टूबर दोपहर 12:31 बजे तक किया जाना शुभ माना गया है। आज के दिन लोग चावल, दुध और शक्कर जिसे लक्ष्मी का प्रिय खोज माना जाता है बना कर आकाश के नीचे रखा जाता है और अगले दिन सूर्योदय के बाद लक्ष्मी मां को खोल लगा कर पूरे घर वालों को प्रशाद के रूप में बांटा जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा भी की जाती है। इसलिए आज के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, मानसिक शांति भी मिलती है।

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