ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली। एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। आप नेता भाजपा को नाकाम साबित करने में एक तरह से कामयाब होते भी दिख रहे है। यह इस बात का प्रमाण है कि हमलावर आप के सामने भाजपा बचाव की मुद्रा में है।
आगामी एमसीडी चुनाव भाजपा के लिए परीक्षा की घड़ी है। आगामी चुनावों में मुख्य मुकाबला भाजपा और आप के बीच होगा। आम आदमी पार्टी लगातार भाजपा पर हमलावर हो रही है। एमसीडी में भ्रष्टाचार, निकम्मापन, सफाई, शिक्षा और वेतन न देने जैसे कई मुददों को लेकर आप नेता धरना, प्रदर्शन करते रहे हैं। इससे भाजपा बचाव की मुद्रा में दिखाई दे रही है।
पिछले दिनों मार्च में दिल्ली नगर निगम की पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को शिकस्त खानी पड़ी थी। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत हासिल करते हुए चार सीटें अपने नाम कर ली थीं। वहीं एक सीट कांग्रेस के खाते में गई। बीजेपी के खाते में कोई भी सीट नहीं आई। इस उपचुनाव को अगले साल होने वाले एमसीडी चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था। यही वजह थी कि सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी थी। नतीजों से एक ओर जहां आम आदमी पार्टी के खेमे में खुशी है वहीं बीजेपी के खेमे में मायूसी है। आम आदमी पार्टी सफाई और वेतन न देने के मुददे उठा रही है।
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आम आदमी पार्टी ने मार्च में हुए उपचुनावों में त्रिलोकपुरी, कल्याणपुरी, रोहिणी सी और शालीमार बाग चारों सीटें अपने नाम कर ली थीं।
इस उपचुनाव में सीएम केजरीवाल ने रोड शो भी किया और पार्टी ने पूरा जोर लगाया था। एमसीडी में अभी बीजेपी का कब्जा है और केजरीवाल समेत दूसरे पार्टी के नेता एमसीडी पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं। सीटें भले ही कम हो लेकिन इससे आम आदमी पार्टी को बीजेपी पर और अधिक हमला करने का मौका मिल गया। पार्टी को पता है कि उसका मुख्य मुकाबला एमसीडी चुनाव में बीजेपी से होने वाला है।
एमसीडी उपचुनावों में बीजेपी की हार ने पार्टी की चिंता बढा दी थी। हालांकि पार्टी ने भी उपचुनाव में पूरी ताकत झोंकी थी। एमसीडी में उसका कब्जा है और अगले साल चुनाव है ऐसे में एक सीट भी न जीत पाना दिल्ली प्रदेश यूनिट की टेंशन बढ़ना स्वाभाविक था।
दिल्ली की जनता के सामने निश्चित ही भ्रष्टाचार, सफाई, चिकित्सा, शिक्षा जैसे मुददे अहम हैं और इसके लिए आप नेता भाजपा को दोषी ठहराने का मौका नहीं चूक रहे हैं। हालांकि भाजपा भी केजरीवाल सरकार पर दोषारोपण का कोई भी अवसर नहीं गंवाना चाहती।
केजरीवाल सरकार भाजपा के हर उस मुददे का हथिया रही है जिससे उसे फायदा होने वाला हो। केजरीवाल सरकार ने बुजुर्गों को अयोध्या जैसे तीर्थस्थलों पर ले जाने की घोषणा भी की है। इससे भाजपा तिलमिला रही है। भाजपा का तर्क है कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का रास्ता उसी ने खोला है।
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