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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए हैं। अब पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन समाप्त हो सकता है। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस ले लिए है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि कानून वापसी का प्रस्ताव रखा और हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित हुआ।
कांग्रेस की ओर से इस पर चर्चा की मांग की जा रही थी लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सांसद वेल में हंगामा करते रहे, जिसके चलते लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रस्ताव पारित होने के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी। लोकसभा में तीनों कानून वापस होने के बाद इन्हे राज्यसभा में भेजा जाएगा और वहां से पारित होने के बाद राष्ट्रपति के पास कानून निरस्त करने के लिए भेजेंगे। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही तीनों कृषि कानून संवैधानिक रूप से वापस हो जाएंगे।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सदन के दोनों सदनों में कृषि कानून वापसी बिल पास कर दिया गया है। इसके बाद अब राष्ट्रपति के पास इसे भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और स्वीकृति के बाद ये कानून रद्द हो जाएगा।
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वहीं शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान अभद्र व्यवहार करने वाले 12 राज्यसभा सासंदों पर भी बड़ी कार्रवाई देखने को मिली। 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही राज्यसभा 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।
वहीं कृषि कानून वापसी बिल बिना चर्चा के दोनों सदनों में पास कराए जाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को जमकर घेरा। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सरकार कानून वापसी पर बहस से डरती है। चर्चा होती है तो पता चलता कि किसके दबाव में कानून बने।
राहुल गांधी ने कहा कि माफी मांग कर पीएम मोदी ने ये कुबूल किया कि उनसे गलती हुई। तीन कृषि कानून मजदूर और किसान पर सरकार का आक्रमण था।
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