-राजेंद्र स्वामी , दिल्ली दर्पण दिल्ली
दिल्ली में कांग्रेस को बड़ा झटका लगाने वाला है। कांग्रेस के कई मौजूदा और पूर्व निगम पार्षद ,पूर्व विधायक,सांसद सहित बड़ी तादाद में आप में शामिल होने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के एक पूर्व सांसद “आप ” के साथ सम्पर्क में ही नहीं, बल्कि सहमति के स्तर तक पहुंच चुकें है। इसी पूर्व सांसद की अगुवाई में दिल्ली के अलग अलग इलाकों के 10 के आस पास कांग्रेस के मौजूदा और पूर्व निगम पार्षद , 5 पूर्व विधायक, 3 जिला अध्यक्ष सहित बड़ी संख्या में ब्लॉक और जिला पदाधिकारी से फाइनल बात हो चुकी है। सूत्रों दावा है कि दिवाली के बाद और दिल्ली नगर निगम चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को अब तक यह सबसे बड़ा झटका लगने वाला है। कांग्रेस के एक बड़े लीडर की अनुसार, “कांग्रेस में अभी कुछ ठीक होने वाला नहीं है ” बीजेपी पर भरोसा नहीं है और आप तेज़ी से बढ़ रही है। यही वजह है कि कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में जाने वालों की कमी नहीं है। लेकिन दोनों तरफ से स्थिति क्लियर होने में कुछ समय लग रहा है। और अब बात लगभग तय हो चुकी है। दिक्क्त यही ही कि आम आदमी पार्टी तुरंत कुछ देने को तैयार नहीं है। ऐसे कई नेता है जिन्हें आम आदमी पार्टी ने ज्वाइन करने के कई कई महीनों बाद उन्हें टिकट या सरकारी विभागों चैयरमैन और अन्य कोई पद दिया है। इन्ही नेताओं को देख कांग्रेस के इन नेताओं को भरोसा हो चला है कि जो भी वादा आम आदमी पार्टी कर रही है वह पूरा होगा। रोहिणी से कांग्रेस नेता जगदीश यादव को आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने के डेढ़ साल बाद ओबीसी का चैयरमैन बनाया गया। पश्चिम विहार से राजेश गोयल को कई महीनों बाद दिल्ली फाइनेंस कॉर्पोरशन का चैयरमैन बनाया गया है। पूर्व कांग्रेस विधायक प्रलाह्द सिंह साहनी आज “आप ” से विधायक है।
दरअसल कांग्रेस के लगातार घटते और आप के बढ़ते जनाधार को देखते हुए दिल्ली कांग्रेस के कई सीनियर लीडर तक यह अनुभव करने लगे है कि कांग्रेस का फिलहाल कुछ होने वाला नहीं है। यही वजह कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने बीजेपी का दमन तक थाम लिया था। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण तीरथ , दिल्ली के पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान , पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर लवली, दिल्ली युथ कांग्रेस के अध्यक्ष अमित मालिक , पूर्व विधायक डॉ एच.सी वत्स सहित बाद बड़ी संख्या में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। लेकिन उन्हें बीजेपी में सम्मान नहीं मिला। बीजेपी में वे खुद को अलग थलग ही नहीं, अपमानित सा महसूस कर रहे थे। उन्होंने कांग्रेस में घर वापसी को ही ज्यादा मुनासिफ समझा। अब ये सभी फिर से कांग्रेस में तो है लेकिन यहाँ भी खुद को सहज नहीं महसूस कर रहे है। कांग्रेस के ज्यादातर वरिष्ठ नेता दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी को भी नहीं पचा पा रहे है। कुछ पुराने नेताओं और विधायक को छोड़कर ज्यादातर नेता अनिल चौधरी को अपना नेता स्वीकार नहीं कर पा रहे है। अनिल चौधरी को भी इनकी चिंता नहीं है। लेकिन वे भी दिल्ली में कांग्रेस को अभी ठीक से खड़ी नहीं कर पा रहे है। लिहाज़ा बीजेपी में गए नेताओं के अनुभव और उनकी हालत देखकर अब उनके लिए बेहतर उम्मीद “आप ” ही है। वे आप में तो जाना चाहतें है लेकिन ठोस आश्वाशन के साथ। “आप ” भी कदावर नेताओं को लेना तो चाहती है लेकिन उसे यह डर भी है . कांग्रेस से आये आम आदमी पार्टी के विधायक बनकर बागी हुए अलका लंबा ,राजेश गर्ग जैसे कई नेताओं ने आप को सावधान कर दिया। यही वजह रही कि विगत विधान सभा चुनाव में भी कांग्रेस के कई पूर्व विधायक , मंत्री और नेता आम आदमी पार्टी की टिकट के लिए करोड़ों रुपये पार्टी फण्ड में देने को तैयार थे , लेकिन आम आदमी पार्टी ने उस समय उन्हें तरजीह नहीं दी। आम आदमी पार्टी को यह भी डर था कि कांग्रेस के नेता आगे चलकर गुटबाजी कर सकतें है।
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बहरहाल खबर है कि कई दौर की मीटिंग के बाद आम आदमी पार्टी के डर और आप में जाने को आतुर कांग्रेस नेताओं के बीच संतुष्ट और सहमति का रास्ता बन चुका है। कांग्रेस के इन नेताओं में ऐसे भी है जो पार्टी को आर्थिक रूप से मजबूत करेंगे। किसी को टिकट तो किसी को किसी कमेटी में स्थान दिया जाएगा। लेकिन ऐसा भी नहीं है की सभी को तुरंत कोई न कोई विभाग में पद या टिकट दे ही दिया जाएगा। लेकिन आम आदमी पार्टी यह भरोसा दिला चुकी है कि अच्छे और लम्बी रेस के घोड़े वाले नेता “आप ” के साथ राजनीती की डगर पर सरपट दौड़ लगाएंगे। कांग्रेस नेताओं को यह भरोसा दिलाने में कांग्रेस की ही एक पूर्व सांसद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कांग्रेस के ये नेता “आप ” में नयी उम्मीद देख रहे है तो आम आदमी पार्टी भी एक तीर से कई शिकार कर रही है। इतनी बड़ी तादाद में कांग्रेस नेताओं के “आप ” में शामिल होने से तस्वीर केवल दिल्ली की राजनीति की ही नहीं बदलेगी, बल्कि इसका सन्देश यूपी-बिहार जैसे कई राज्यों में भी जाएगा। देश भर में पार्टी के विस्तार में लगी आम आदमी पार्टी को लाभ मिलेगा। कम से कम दिल्ली नगर निगम चुनाव में तो पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि उसे दिल्ली विधान सभा चुनाव की तरह एकतरफा समर्थन मिलेगा। बहरहाल दिवाली के बाद अगर ऐसी ऐतिहासिक भगदड़ मची तो कांग्रेस का तो दिवाला निकल ही सकता है बल्कि भयभीत बीजेपी का भी होना तय है। खासकर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता का।
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