जूही तोमर
नई दिल्ली। हाल के दिनों में राजधानी में रिहायशी इलाकों में शराब की दुकानें खोले जाने को लेकर विपक्षी दल और आम जनता दिल्ली सरकार के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन कर रही है। रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार बनने से पहले वादा किया था कि उनकी सरकार रिहायशी इलाके में बने शराब के ठेकों को बंद करा देंगे लेकिन उनकी सरकार की नई आबकारी नीति के चलते राजधानी के कई रिहायशी इलाकों में शराब की दुकानें खुल गई हैं, जिससे यहां रहने वाले लोगों को अनेकों तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी को देखते हुए केशवपुरम जोन के चेयरमैन व वार्ड-75 अशोक विहार के पार्षद योगेश वर्मा ने 14 दिसंबर को हाउस में मिक्स्ड लैंड पर खुले शराब के ठेकों के खिलाफ प्रस्ताव जारी किया।
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आपको बता दे कि वर्ष 2006 में दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा प्रावधान किया गया था, जिसमें राजधानी में मिश्रित और व्यावसायिक भूमि का विभाजन किया गया था और जिसमें यह भी उल्लेख किया गया था कि मिश्रित भूमि में कुछ गतिविधियों को निषिद्ध किया गया था जिसमें शराब के ठेके भी शामिल थे। दिल्ली अपटुडेट समाचार पत्र की टीम के साथ खास बातचीत में योगेश वर्मा ने बताया कि चूंकि प्रावधान में यह भी लिखा गया था कि नोटिफाईड कमर्शियल लैंड पर शराब के ठेके नहीं खोले जाएंगे और उसके पीछे का मुख्य कारण केवल यहीं था कि जिन लोगों ने अपनी सम्पत्ति यह सोच कर खरीदा थी कि वें अपनी सम्पत्ति को हमेशा के लिए आवासीय उपयोग के लिए ही रखेंगे और जगह—जगह पर शराब के ठेकों के खुल जाने से वहां रहने वाले लोगों को अनेकों तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तथा असामाजिक तत्वों की गतिविधियों के साथ अपराध भी बढ़ जाता है। विशेष रूप से वहां महिलाओं व बच्चों का आना—जाना बहुत मुश्किल हो जाता है और इन सब बातों से बच्चों के चरित्र पर भी दुष्प्रभाव पड़ता हैं।
योगेश वर्मा ने यह भी बताया कि निगम ने ऐसी जगहों पर खुले शराब के ठेकों के खिलाफ कई नोटिस भी भेजे थे लेकिन पता चला है कि अब निगम द्वारा भेजे गये नोटिस को वापिस लिया जा रहा हैं जो कि पूरी तरह से गलत है। दिल्ली सरकार को रिहायशी संपत्ति धारकों के बच्चों और महिलाओं के हितों का सर्वप्रथम ध्यान रखना चाहिए न कि व्यावसायिक गतिविधि करने वाले लोगों का ध्यान रखना चाहिए। योगेश वर्मा ने अपने प्रस्ताव में उत्तरी दिल्ली नगर निगम को रिहायशी क्षेत्रों में खोली जा रही शराब की दुकानों की अनुमति को तुरंत प्रभाव से रद्द करने की मांग की और निगम द्वारा दिए गए नोटिसों को दोबारा से जारी करने की भी मांग की।
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