संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
नई दिल्ली। दिल्ली प्रदेश भाजपा मंदिर प्रकोष्ठ के संयोजक करनैल सिंह आज स्वरूप नगर में पहुंचे। यहां मंदिर प्रकोष्ठ के नव नियुक्त पदाधिकारियों और पुजारियों का स्वागत, सम्मान करते हुए कहा कि आज पश्चिमी सभ्यता के लोग नया वर्ष मना रहे हैं, उसे कतई मनाने की आवश्यकता नहीं है। हमारा नव वर्ष चैत्र माह में होगा। इस वर्ष अपना नव वर्ष भव्य वर्ष के रूप में मनाएंगे जिसकी पूरे विश्व में चर्चा होगी।
करनैल सिंह ने कहा कि इन लोगों ने हम पर इतनी चीजें थोप दी कि हम अपनी संस्कृति को भूल गए। हमें जागने की आवश्यकता है। सनातन धर्म सदैव रहा है। जब से पृथ्वी है, तब से सनातन धर्म है।
उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि कुछ लोग हमारे देश को बांटने में लगे हैं। आने वाले समय हमारे लिए मुश्किल हो जाएगा। हमें आज जागने की आवश्यकता है। दूसरे राज्यों में मंदिर प्रकोष्ठ की स्थापना हो रही है। असम में पुजारियों का वेतन शुरू कर दिया गया है।
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उन्होंने कहा कि ब्राह्मण भाई समाज का मार्गदर्शन करते हैं। अगर उनकी आर्थिक दशा ठीक नहीं होगी तो वे मार्गदर्शन नहीं कर पाएंगे। हमें डॉक्टर, इंजीनियर की जरूरत नहीं, हमें मार्गदर्शकों की जरूरत है ताकि हमें हमारी सभ्यता, संस्कृति सिखाई जा सके।यह संघर्ष भूखे पेट रह कर, तपस्या करके करना होगा। अगर हम अभी नहीं जागे तो जम्मूकश्मीर की तरह हमें यहां से भागना पड़ेगा।
केजरीवाल सरकार के सामने पांच सूत्री मांगे रखे जाने के सवाल पर करनैल सिंह ने कहा कि हमें उनके रेस्पॉंस की आवश्यकता नहीं है। हमारे खुद के पास इतने नेता हैं, ये खुद ही अपनी सरकार बनाएंगे और पुजारियों के वेतन का आदेश पास करेंगे। अब यह काम होकर रहेगा।
इस अवसर पर भाजपा पूर्वांचल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष, निगम में स्टैंडिंग कमेटी के उपाध्यक्ष एवं पार्षद विजय भगत ने कहा कि जब से मंदिर प्रकोष्ठ की स्थापना हुई है तब से करनैल सिंह मंदिर-मंदिर जाकर पुजारियों को दिल्ली सरकार द्वारा वेतन दिलाने की मांग को मजबूत करने का काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार भेदभाव कर रही है। करनैल सिंह के नेतत्व में मंदिरों में गलियों में जाकर लोगों को जगाया जा रहा है।
विजय भगत ने कहा कि आज मस्जिदों में तनख्वाह दी जा रही है लेकिन मंदिरों को नहीं, यह सरासरा भेदभाव है। तुष्टिकरण की नीति है।
मंदिर प्रकोष्ठ के नोर्थ-वेस्ट जिला अध्यक्ष मनु पांडे ने कहा कि पुजारियों के साथ भेदभाव हो रहा है। क्या हम टैक्स नहीं देते, क्या हम वोट नहीं देते। पुजारियों को तनख्वाह क्यों नहीं। हमें सैलरी दो या उन्हें भी मत दो। क्या हम धर्म की रक्षा नहीं करते। केजरीवाल कहते हैं कि सभी धर्म, वर्ग, जाति एक है। ऐसा है तो फिर पुजारियों के साथ भेदभाव क्यों?
मनु पांडे ने कहा कि मंदिरों के पुजारी हमारे मार्गदर्शक हैं। जीवन की सभी क्रियाओं में हमारा मार्गदर्शन करते हैं लेकिन सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि पुजारी आने वाली पीढी को पांडित्य कर्म नहीं करवाना चाहते। अगर ऐसा होगा तो हमारे संस्कार कर्म और धर्म लोप हो जाएगा।
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