-राजेंद्र स्वामी , दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली। आज दिल्ली विधान सभा के स्तर में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सडकों पर दिल्ली सरकार के शराब नीति का विरोध कर रही बीजेपी को आईना दिया दिया और बता दिया की नयी नीति में नया क्या है । सदन में पुरे आंकड़ों के साथ आये सिसोदिया ने पुरानी और नयी शरीब नीति को पुरे तथ्यों और तर्कों के साथ धाराप्रवाह सामने रखा तो बीजेपी को बगलें झांकने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं दिखा। उन्हने बीजेपी शाषित राज्यों की तुलना दिल्ली से करते हुए सवाल किया की देश के शहरों को शराब की नगरी कौन बना रहा है ? मनीष सिसोदिया ने कहा की नयी शराब नीति ने शराब माफिआओं की काली कमी बंद कर दी है वहीँ सरकार की आय को 600 करोड़ रुपये से बढ़कर 950 करोड़ रुपये हो गयी है। जबकि दुकानें वहीँ है लेकिन आय बढ़ गयी है। उन्होंने नोएडा , गुरुग्राम , गाज़ियाबाद , बंगलौर , कर्नाटक जैसे बीजेपी शाषित शहरों के आंकड़े देते हुए कहा की इन बीजेपी के राज्यों में एक हज़ार से 3 हज़ार के आबादी पर एक शराब की दुकान है जबकि दिल्ली में 30 हज़ार की आबादी पर एक दूकान है।
मनीष सिसोदिया ने पुरानी शराब नीति की खामियां बताते हुए कहा की पुरानी पॉलिसी में 80 वार्ड ऐसे है जिनमें एक भी शराब की दूकान नहीं है। 45 वार्ड ऐसे है जिनमें कुल दुकानों की आधी दुकानें है। 100 वार्ड ऐसे है जहाँ 4 हज़ार अवैध शराब की दुकानें थी। इन अवैध शराब की दुकानों से सरकार की आय नहीं बल्कि माफिआओं की आय होती थी। ये माफिया बीजेपी से मिले हुए है।
मनीष सोसोदिया ने कहा की पहले सडकों पर छोटी -छोटी दुकानों पर भारी भीड़ होती है ,अब नए पॉलिसी में कोई भी शराब की दूकान 500 फुट से कम नहीं है। कोई भी दूकान का काउंटर सड़क पर नहीं खुलेगा। शराब की दूकान के सामने न्यूसेन्स न हो , वहां सुरक्षा सुनिश्चित हो यह ठेकेदार की जिम्मेदारी है। शराब कारोबारियों को भी ख़ुशी है की जो मोटा मुनाफा शराब माफिआओं की जेब में जा रहा है अब वह सरकार की जेब में जा रहा है। पहले दुकानों के बहार ठेले वाले ,समाज बेचने वालों की भीड़ होती थी और पुलिस प्रशासन से महीना बंधा होता था।
डीडीए मास्टर प्लान , कमीशन मास्टर पालन है
मनीष सिसोदिया ने दिल्ली डेवलोपमेन्ट अथॉरिटी यानी डीडीए को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने डीडीए को दिल्ली बर्बाद अथॉरिटी कहते हुए कहा की आज यानी सालों बाद भी डीडीए दिल्ली की आधी आबादी को छोटी -छोटी मार्केट तक नहीं दे सका। यह डीडीए की सबसे बड़ी नाकामी है। यहाँ 80 वार्ड ऐसे है जहाँ जीरो कमर्शियल एरिया है। 100 वार्ड ऐसे है जहाँ एक बहुत छोटे से एरिया में छोटी मोटी मार्किट है। ऐसे में यदि कोई दिल्ली के इन इलाकों में कोई कारोबार करना चाहता है , छोटी मोटी दूकान खोलना चाहता है वह कैसे काम करेगा ? ऐसे इलाके दिल्ली में अवैध कमाई के सबसे बड़े जरिया बने हुए है। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली की स्लम बस्तियों में बिक रही अवैध शराब का जिक्र करते हुए कहा कि आज बीजेपी नेताओं को इन अवैध कॉलोनियों और स्लम बस्तियों को बचा लीजिये। यह शपथ लीजिये की वे एक एक वार्ड और कॉलोनी को लीगल बनाऊंगा, कमीशन नहीं खाऊंगा।