Thursday, November 21, 2024
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सूर्यनमस्कार अपनाये,जीवनको सुखी बनाये।

-संतोष सिंह

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास समय का काफी अभाव रहता है। यदि आपके पास भी समय की कमी हैऔर आप चुस्त दुरुस्त रहने का कोई नुस्ख़ा ढूँढ रहे हैंतो सूर्य नमस्कार उसका सबसे अच्छा विकल्प है। सूर्यनमस्कार में कुल 12 तरह के आसन होते हैं। इन आसनों से शरीर का संपूर्ण व्यायाम हो जाता है। सूर्य नमस्कार सुबह के समय खुले में पूर्व दिशा मेंउगते सूरज की ओर करने की सलाह दी जाती है। उगते सूर्य के प्रकाश से हमारे शरीर को विटामिन डी‘ मिलता हैहड्डियां मज़बूत होती हैंत्वचा स्वस्थ रहती है और मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिलती है। सूर्य नमस्कार से एक तरफ जहां शरीर डिटॉक्स होता है, वहीं दूसरी तरफशरीर के मसल्स भी मजबूत होते हैं।

मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान,आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के निदेशक डॉ. ईश्वर वी. बसावराद्दीने सूर्य नमस्कार के महत्व को प्रतिपादित करते हुये बताया कि सूर्य नमस्कार आसन सूर्य का सम्मान करने के लिए एक पारंपरिक भारतीय अभ्यास है। हिंदू धर्म में सूर्य के देवता को ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। क्योंकि यह सभी जीवन का स्रोत है.डॉ. बसावराद्दी के मतानुसार सूर्य नमस्कार शरीर और मन के समन्वय के साथ 12 चरणों में किए गए आसनों का एक समूह है, जो जीवन में नित्य नये सुधार करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करता है।

जीवन में सूर्य नमस्कार के लाभ:

सूर्य नमस्कार कोपरम आसन के रूप में भी जाना जाता है और यह पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करने, रक्‍तसंचारको नियंत्रण करने, शर्करा के स्तर को कम करने, मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने और शरीर के मेटाबोलिज्ममें सुधार करता है।

सूर्य नमस्कार कितना प्रभावी:

सूर्य नमस्कार योग आसनों का एक महत्वपूर्ण क्रम है जिसमें योग चटाई के अलावा किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। प्रात:कालीन समय में सूर्यदेव का दर्शन करना व्यक्ति के लियेकाफी लाभदायक होता है।  हम सूर्य नमस्कार घर पर आसानी से करसकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूर्य नमस्कार के सभी आसनों में अधिक समय की आवश्यकता नहीं होती है और इसे हम अपने व्यस्त दिनचर्य़ा में भी कर सकते हैं। सूर्य नमस्कार समाज के सभी उम्र के लोगों को लाभान्वित करता है, इसमें उम्र का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह बच्चों और किशोरों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे यौवन के करीब होते हैं औरसूर्य नमस्कार उनके शरीर केअधिवृक्क (एड्रि‍नल), पिट्यूटरी और थायरॉयड जैसी ग्रंथियों का विशेष प्रबंधन करता है। नमस्कार पदों का अभ्यास शुरू करने की आदर्श उम्र सातवर्ष मानी जाती है। इसके अलावा, यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी योग आसन का सबसे अच्छा रूप है।

सूर्य नमस्कार से किसे बचना चाहिए?

हर्निया की समस्या वाले रोगियों को इसे कभी नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी पहली तिमाही के बाद सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्या है, उन्हें किसी भी हालत में सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को भी इस अभ्यास से दूर रहना चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सूर्य नमस्कार से अस्थायी रूप से ब्रेक लेना चाहिए।

एक दिन में कितने सूर्य नमस्कार करना चाहिए:

सूर्य नमस्कार के चरणों को प्रतिदिन बारह बार किया जा सकता है, लेकिन योग के लिए शुरुआती लोगों के लिए केवल दो चक्कर लगाने की सलाह दी जाती है। इसे केवल प्रारंभिक चरणों के दौरान वैकल्पिक दिनों में करना होता है और फिर धीरे-धीरे इसे हर दिन में परिवर्तित किया जा सकता है।

कुल मिलाकर देखा जाय तोसूर्य नमस्कारएक ऐसा व्यायाम है जो अपने आप में संपूर्ण है। मानव जीवन में इसकी महत्ता को देखते हुए हमारेऋषि-मुनियों ने इसे सबसे प्रमुख एंव प्रथम व्यायाम की संज्ञा दी है।एमडीएनआईवाई निदेशक डॉ. बसावराद्दी का कहना है कि सूर्य नमस्कार और व्यायाम की तुलना करते हुए कई शोध अध्ययनों से निष्कर्ष निकला कि सूर्य नमस्कार किसी भी अन्य प्रकार के व्यायाम की तुलना में अधिक फायदेमंद है। यदि आप प्रतिदिन केवल 20 मिनट सूर्य नमस्कार करते हैं, तो आपकी रीढ़ और मस्तिष्क पूरी तरह से स्वस्थ और मजबूत होंगे और निश्चित रूप से आप स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।

सूर्य नमस्कार कौन कर सकता है:

सूर्य नमस्कार समाज के सभी उम्र के लोगों को लाभान्वित करता है, इसमें उम्र का कोई प्रतिबंध नहीं है। यह बच्चों और किशोरों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे यौवन के करीब होते हैं औरसूर्य नमस्कार उनके शरीर केअधिवृक्क (एड्रि‍नल), पिट्यूटरी और थायरॉयड जैसी ग्रंथियों का विशेष प्रबंधन करता है। नमस्कार पदों का अभ्यास शुरू करने की आदर्श उम्र सातवर्ष मानी जाती है। इसके अलावा, यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी योग आसन का सबसे अच्छा रूप है।

सूर्य नमस्कार से किसे बचना चाहिए?

हर्निया की समस्या वाले रोगियों को इसे कभी नहीं करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी पहली तिमाही के बाद सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। जिन लोगों को पीठ और रीढ़ की हड्डी की समस्या है, उन्हें किसी भी हालत में सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। उच्च रक्तचाप के रोगियों को भी इस अभ्यास से दूर रहना चाहिए। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सूर्य नमस्कार से अस्थायी रूप से ब्रेक लेना चाहिए।

एक दिन में कितने सूर्य नमस्कार करना चाहिए:-

सूर्य नमस्कार के चरणों को प्रतिदिन बारह बार किया जा सकता है, लेकिन योग के लिए शुरुआती लोगों के लिए केवल दो चक्कर लगाने की सलाह दी जाती है। इसे केवल प्रारंभिक चरणों के दौरान वैकल्पिक दिनों में करना होता है और फिर धीरे-धीरे इसे हर दिन में परिवर्तित किया जा सकता है।

कुल मिलाकर देखा जाय तोसूर्य नमस्कारएक ऐसा व्यायाम है जो अपने आप में संपूर्ण है। मानव जीवन में इसकी महत्ता को देखते हुए हमारेऋषि-मुनियों ने इसे सबसे प्रमुख एंव प्रथम व्यायाम की संज्ञा दी है।एमडीएनआईवाई निदेशक डॉ. बसावराद्दी का कहना है कि सूर्य नमस्कार और व्यायाम की तुलना करते हुए कई शोध अध्ययनों से निष्कर्ष निकला कि सूर्य नमस्कार किसी भी अन्य प्रकार के व्यायाम की तुलना में अधिक फायदेमंद है। यदि आप प्रतिदिन केवल 20 मिनट सूर्य नमस्कार करते हैं, तो आपकी रीढ़ और मस्तिष्क पूरी तरह से स्वस्थ और मजबूत होंगे और निश्चित रूप से आप स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते हैं।

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