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नई दिल्ली। 35वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की शुरुआत फरीदाबाद में शनिवार शाम से हो गई है| जिसमें विभिन्न प्रदेशों और देशों की लोक कला और संस्कृति का संगम मेला के परिसर में देखने को मिला। हस्तशिल्पी अपनी-अपनी स्टॉल में अपनी कृतियों का प्रदर्शन में जुटे हुए हैं।
मेले के अधिकारियों का दावा है, कि रविवार की सुबह तक स्टॉलों में हस्तशिल्प कृतियों को लगा दिया जाएगा। जहां पर्यटक खूबसूरत हस्तशिल्प कलाएं देखने को मिलेंगी जिन्हे ख़रीदा भी जा सकता है। शनिवार को VVIP गेट पर आयोजित किए गए उद्घाटन समारोह में बम लहरी, हरियाणा की सपेरा बीन और बंचारी की नगाड़ा पार्टियों के कलाकारों ने अपने हुनर से खूब रंग जमाया, और अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उद्घाटन के मौके पर कलाकारों ने अपने वाद्य कला और गायन से लोगों का खूब मनोरजंन किया। बंचारी की आठ नगाड़ा टोलियों ने मेला परिसर में धूम मचाई हुई है। लोग नगाड़े की ताल पर झूमने को मजबूर हो गए।
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मेले की चौपाल पर आयोजित किए गए उद्घाटन समारोह में अतिथियों के सामने विभिन्न प्रदेशों और विदेशों के लोक संगीत प्रस्तुतियां दी गईं। लोककलाकारों द्वारा जोश और उत्साह से प्रस्तुत किए ब्रजभूमि के लोकप्रिय मयूर नृत्य पर दर्शकों की तालियों की गड़गड़ाहट और एक बार और की आवाज गूंजती रही। ब्रज संस्कृति से ओत-प्रोत श्रीकृष्ण और गोपियों द्वारा रसिया चौपाल पर प्रस्तुत किया गया। होली का फाग गायन पर मयूर नृत्य से धार्मिक माहौल पैदा हो गया। हरियाणवी लोकलाकारों ने हरियाणवी संस्कृति से हरियाणावी लोकगीत और लोकनृत्य पेश किया।
शनिवार को भले ही मेले का उद्घाटन हो गया, लेकिन मेले में अभी तक सभी हस्तशिल्पी नहीं पहुंचे हैं। करीब 50 फीसदी स्टॉल खाली हैं। जिन 50 फीसदी स्टालों का आवंटन किया गया है। उनमें भी अभी तक कलाकृतियों को सजाया नहीं गया है। विदेशी कॉर्नर अभी खाली है। केवल मेले के भागीदार देश उज्बेकिस्तान पवेलियन में कलाकृतियों को सजाया गया है। इस जोन में अफगानिस्तान की कालीन, इरान की स्टॉल पर सामान का सजाया जा रहा है। अफ्रीकन देश घाना और टर्की के स्टॉल पर कलाकृतियों का प्रदर्शित किया गया है। कई शिल्पकार मेले तो पहुंच गए हैं, लेकिन उनका सामान अभी तक नहीं पहुंचा है।
शिल्पकारों से नहीं पहुंचने से स्टॉल खाली पड़े हैं। मेला अधिकारियों के मुताबिक, दूर-दराज के प्रदेशों से आने वाले कुछ शिल्पकारों की ट्रेन लेट हुई तो कुछ होली के त्योहार के कारण देरी से आएंगे। कुछ की कलाकृतियां देरी से पहुंची इस कारण से झोपड़ी खाली हैं। लेकिन, अब अधिकांश स्टॉल पर रविवार को शिल्पकारों के पहुंचने से भर जाएंगे। सभी शिल्पकारों को पहले ही झोपिड़यां आवंटित कर दी गई थीं।
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित शिल्पकारों का संगम हुआ है। मेले में आए पर्यटक इनकी कला को निहारने को विवश हो जाते हैं। मेले में करीब 121 राष्ट्रीय और करीब 72 राज्य स्तरीय शिल्पकार अपनी शिल्पकला के रंग बिखेरने पहुचे हैं। इनके अलावा 375 अन्य पुरस्कारों से सम्मानित हस्तशिल्पी भी मेले में आए हैं। मेला शिल्पकला की विविधताओं से ओत-प्रोत है, जिसका पर्यटक पूरा लाभ उठा सकेंगे। यहां पर देश-विदेश के अति प्रतिभावान शिल्पकार अपनी निराली शिल्पकला का नमूना पेश कर रहे हैं।
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