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नई दिल्ली। 23 मार्च 1931 के दिन फांसी का फंदा चूमकर भारत के महान क्रांतिकारी भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर कर दिए थे। देश के बहादुर क्रांतिकारी और महान सपूतों के बलिदान की याद में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।
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23 मार्च 1931 को भगत सिंह,सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई गई थी। इस दिन को ही शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है और भगत सिंह समेत सुखदेव और राजगुरु को याद किया जाता है। अंग्रेजों के बढ़ते हुए अत्याचार से सबसे पहले भगत सिंह ने लौहार में सांडर्स की गोली मार कर हत्या कर दी। उसके बाद ‘पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूट बिल’ के विरोध में भगत सिंह ने सेंट्रल असेम्बली में बम फेंका था। हालांकि, उनका मकसद सिर्फ अंग्रेजों तक अपनी आवाज पहुंचाना था न कि किसी की हत्या करना था। इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
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