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नई दिल्ली। बुधवार को सभ्यता अध्ययन केंद्र द्वारा प्रकाशित और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक “ईसावाद और औपनिवेशिक नीतियों के चक्रव्यूह में झारखंड” का लोकार्पण हुआ | यह कार्यक्रम मालवीय स्मृति भवन में संपन्न हुआ। जिसे जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी ने किया। जिसमें आरोग्य भारती के संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय जी कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सत्येन्द्र सिंह जी द्वारा की गई ।
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इस पुस्तक में मुख्य रूप से सभ्यता अध्ययन केंद्र द्वारा चलाए जा रहे प्रकल्पों के साथ उपनिषद की कक्षाएं एवं झारखंड, हिमांचल एवं दिल्ली में चलाएं जा रहे केंद्रों का विवरण दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मंत्री अशोक वार्ष्णेय जी जब मंच पर आए तो उन्होंने बताया कि झारखंड किसी भी समस्या को समझने एवं समझकर प्रयोग करने का सबसे उपयुक्त स्थान है| उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार ईसाई तंत्र ने डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट्स को षड्यंत्रपूर्वक क्रियान्वित नही होने दिया| उन्होंने अपने उद्बोधन में ईसाई नक्सली गठजोड़ को भी बड़ी सूक्ष्मता से समझाया।
इन्होंने अर्जुन मुंडा जी और बाबूलाल मरांडी जी के कार्यकाल में किए गए सकारात्मक कार्यों का भी वर्णन किया।
अर्जुन मुंडा जी ने भी मंच पर आकर, विद्या भारती द्वारा प्रारंभ किए गए निजी आईटीआई संस्थाओं का भी पक्ष रखा एवं जनजातिय समाज की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति होडोपैथी के उत्थान का भी आग्रह किया
सबसे अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सत्येंद्र सिंह जी ने अपने छिन्मस्तिका मंदिर, मलूटा मंदिर को पर्यटन के रूप में बढ़ाने का आग्रह किया एवं यह भी कहा कि पुस्तक के लेखक के माध्यम से चर्च की गतिविधियों को समझने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि यह पुस्तक मात्र झारखंड को ही नही अपितु सम्पूर्ण भारत को समझने की दृष्टि है,उन्होंने यह भी बताया कि सिमडेगा जैसे क्षेत्र में 52% ईसाई हो चुके हैं खड़िया जनजाति ओरांव जनजाति ईसाई तंत्र के षड्यंत्र के निमित समाप्त होने को है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जी का उद्बोधन प्रारंभ हुआ| जिसमें उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के माध्यम से महत्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त होंगी एवं सभ्यता अध्ययन केंद्र के परिपेक्ष्य में उन्होंने कहा कि हमें इस सोध कार्य को आर्याव्रत एवं जम्बूदीप तक लेकर जाने की आवश्यकता है अर्थात् हमारी दृष्टि में अफगानिस्तान,बांग्लादेश, पाकिस्तान समहित होना चाहिए एवं उन्होंने फौजदारी कानून का भी वर्णन किया पश्चात भारत सरकार द्वारा किए गए सकारात्मक कार्यों के पक्ष को भी रखा जिसमे मुख्य रूप वर्तमान सरकार द्वारा भारत के सांस्कृतिक उत्थान के पक्ष एवं रसिया और यूक्रेन के मध्य चल रहे भारत की महत्वपूर्ण भूमिका का पक्ष भी रखा
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