काव्या बजाज
साल 2019 में चीन के वुहान शहर से एक वायरस की शुरुआत होती है। यह वायरस इतना घातक साबित होता है कि देखते ही देखते चीन के साथ साथ दुनिया के बाकी देशों में भी फैल जाता है। जिसको नाम दिया जाता है कोरोना वायरस। जो जमकर तबाही मचाता है और अपने साथ कई लोगों की जानें भी ले जाता है। जिसको देखते हुए WHO इसे HEALTH EMERGENCY घोषित करता है। और सरकार को भी इसपर लॉकडाउन का फैसला लेना पड़ता है।
लोग अभी इस वायरस से उभर नहीं पाए थे कि एक और वायरस ने दस्तक दे दी। हम बात कर रहे हैं मंकीपॉक्स की। दुनियाभर के कई देशों में मंकीपॉक्स के तमाम मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें भारत भी शामिल है। WHO के बाद भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को अलर्ट जारी कर दिया है। देश में अभी मंकीपॉक्स के चार मामले ही सामने आए हैं लेकिन कई राज्यों ने मंकीपॉक्स से लड़ने के लिए एडवाइजरी तक जारी कर दी है।
यह एक रेयर जेनेटिक बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण से होती है। यह वायरस हवा में नहीं फैलता है, लेकिन मरीज के संपर्क में आने से, उसके ड्रॉपलेट्स से या फिर शारीरिक संबंध की वजह से एक से दूसरे में जा सकता है। इस वायरस से बचाव के लिए जरूरी है कि जो संक्रमित हैं उन्हें आइसोलेट कर दिया जाए और बाकी लोगों को उससे दूर रखा जाए।
तो वहीं इस वायरस के लक्षण की बात करें तो संक्रमित इंसान में फीवर, गले में खराश, सांस में दिक्कत होती है। इसके अलावा चिकनपॉक्स की तरह शरीर में रैशेज और दाने बन जाते हैं, जो पूरे शरीर पर दिखने लगते हैं। कई राज्य सरकार ने इस बीमारी से निपटने के लिए निर्देश दिए है कि अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए, ओपीडी में मरीजों की जांच की जाए कि कहीं उनमें मंकीपॉक्स के लक्षण ना हों, विदेश से लौटे यात्री जिनमें इस बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं उन्हें आइसोलेशन में रखा जाए और ऐसे ही कई निर्देश मंकीपॉक्स से निपटने के लिए दिए गए है ताकि बीमारी का खतरा टल सके।