-दिल्ली दर्पण ब्यूरो
दिल्ली। दिल्ली में मदर्स प्राइड और प्रेसिडियम स्कूल के निदेशक और कर्ता धर्ता सुधा गुप्ता और उनके पति देवेंद्र गुप्ता के घर ईडी और इनकम टैक्स के घर ,स्कूल , दफ्तर और उनके करीबी स्टाफ पर ताबड़ तोड़ छापों से वे सैकड़ों लोग निराश हो गए है जिनसे निवेश और ब्याज का लालच देकर मोटा पैसा लिया था। ये सैड़कों लोग पुलिस , कोर्ट के चक्कर काट-काट कर थक गए है। लेकिन अब यह मामला ऐसे दलदल में तब्दील हो गया है की ईडी और इनकम टैक्स को भी इसकी गहराई नापने के लिए नाकों चने चबाने पड़ रहे है। मामले की गहरी से घबराकर इनके कितनी ही कर्मचारी काम छोड़ गए ,लेकिन ईडी और इनकम टैक्स इनका पीछा नहीं छोड़ रहा है।
गौरतबल है की अभी कुछ ही दिन पहले इनकम टेक्स ने सुधा गुप्ता और देवेंद्र गुप्ता द्वारा किये गए फर्ज़ीवाड़े की जांच करने के लिए करीब 30 से 35 जगहों पर छापे मारे। इनमें उनके द्वारका , अशोक विहार ,पंजाबी बाग़,गुरुग्राम , समालखां ,इंदिरापुरम ,रोहिणी सहित उनके करीबी लोगों के घरों में भी छापा मारा है। इनके नजदीकी स्टाफ और जानकारों से कई सवाल भी पूछे है। खबर है की इनकम टैक्स ने सुधा गुप्ता और देवेंद्र गुप्ता से जुड़े करीब 100 लोगों से पूछताछ की है और तीन दर्जन से ज्यादा ठिकानों पर रेड की है।
सुधा गुप्ता और देवेंद्र गुप्ता के खिलाफ दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में भी शिकायतें दर्ज़ है। इन पर आरोप है की इन्होने स्कूल के अभिभावकों को MPRS स्कीम में सैकड़ों लोगों सैकड़ों करोड़ रुपया इन्वेस्ट कराया और उसके बाद नयी लोगों को 12 से 20 प्रतिशत सालाना ब्याज का लालच देकर उनसे लाखों रुपये लिए। अभिभावकों को कहा गया कि वे 15 से 20 लाख रुपये दें और उनके बच्चे की 12 वीं तक पूरी फीस माफ़ होगी। 12 वीं के बाद उन्हें उनका पैसा लौटा दिया जाएगा। इस लालच ने ऐसा काम किया की सैकड़ों अभिभावकों ने इस स्कीम में अपनी जमा पूंजी लगा दी। इसके बाद इन दोनों ने आम लोगों को भी मोटे ब्याज और रिटर्न का लालच देकर उनसे इन्वेस्ट कराया। इनकी नियत और कारतूस उस समय उजागर हुयी जब स्कीम का की अवधि सम्पति पर लोगों न पैसा मांगना शुरू किया।
इस सारे मामले में ज्यादा सैकड़ों करोड़ों रुपये का नगद लेन देन हुआ। अब उसी लेनदेन की लिस्ट में आर्थिक अपराध शाखा ईडी और इनकम टैक्स ऐसी उलझी है जाँच पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही है। शुरुआत जांच में ही साफ़ हो गया है की इन दोनों ने फ़र्ज़ी कम्पनी और एनजीओ की आड़ में सैकड़ों करोड़ रुपया का घोटाला किया है। लेकिन हैरत की बात है की आज पांच साल बाद भी बात केवल जांच के स्तर तक ही सिमटी हुई है । 2018 से इनकी ठगी के शिकार लोग इन्हे शिक्षा जगत के बंटी बबली का तमगा देकर इनके खिलाफ करवाई की मांग कर रहे है। अपनी जमा पूंजी हासिल करने के लिए हर दरवाजे पर दस्तक दे चुकें है। लेकिन इन्हे हर जगह से निराश ही होना पड़ा है।
इस दम्पत्ति ने करोड़ों रुपये का हेर फेर करने के लिए दर्जनों कंपनियां बनाई ,ट्रष्ट और एनजीओ बनाये लेकिन सालों तक किसी की नजर में नहीं आये। कोई ठोस करवाई इनके खिलाफ आज तक नहीं हुयी। इनकी पहुंच कहाँ तक है यह इससे ही साफ़ हो जाता है कि इतने करोड़ों रुपये की ठगी और घपले के बावजूद इनकी गिरफ्तारी नहीं हुयी है। 2018 से इनकी ठगी के शिकार हर दरवाजे पर दस्तक दे चुकें है। लेकिन इन्हे शिक्षा जगत की बंटी बबली कहतें है। ये भी प्रदर्शन कर कर के थक गए। हर दरवाजा इन्होने खटखटाया लेकिन हर जगह से निराश हो होना पड़ा है। अभी दो महीने पहले ईडी के छापे और अब इनकम टेक्स के छापों से यह साफ़ हो गया है की जांच एजेंसियां इनके फ़र्ज़ी वादे की तह में जाने के लिए जोर लगा रही है। अब तक इनके पीड़ित यह उम्मीद कर रहे थे की इन्हे कुछ पैसा मिल जायेगा ,लेकिन अब वह सभावना भी ख़त्म होती नजर आ रही है।
दिल्ली नगर निगम में एक अदद अधिकारी कैसे इतनी करोड़ों की अकूत सम्पत्ति का मालिक बन गया ? कैसे इतना बड़ा घोटाला करके भी कानून की गिरफ्त से बहार है। जिस कम्पनी को कोई व्यवसाय नहीं है वह कैसे मदर्स प्राइड के प्रमोटरों की समूह कंपनियों को फंड डायवर्ट करती रही ? क्यों तमाम जांच एजेंसियां इतनी सालों के बाद भी अभी तक जांच का झुन्झना ही बजती आ रही है ? इन सवालों का जबाब यही है की इनके बड़े बड़े अधिकारीयों नेताओं से बड़े नजदीकी रिश्ते रहे है। राजनीति दलों को मोटा चंदा दिया करते थे।
बहरहाल अब जांच एजेंसियों ने भी तेज़ी और ताकत के साथ जांच शुरू कर दी है। इनकी तमाम नाम और बेनामी फ़र्ज़ी कंपनियों के खाते खंगाले जा रहे है। इसी कड़ी में पिछले कई दिनों से जांच एजेंसियां तेज़ी और ताकत के साथ लगी हुयी है। दिल्ली दर्पण टीवी की खास रिपोर्ट में हम इस बंटी बबली की बदनाम कम्पनी की कहानी की भी पड़ताल करेंगे और जांच के प्रगति रिपोर्ट की भी।