Bihar Sasaram news : चंदन पहाड़ी पर आज से 23 सौ साल पहले सम्राट अशोक ने लघु शिलालेख स्थापित किया था, लेकिन अब लघु शिलालेख पर अतिक्रमण कर उसे मजार का रूप दे दिया गया है
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नई दिल्ली । बिहार के सासाराम से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें सम्राट अशोक के शिलालेख पर चूना पोतकर और हरी चादर डालकर उसे एक मजार के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। मामला सामने आने के बाद लोग अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, सम्राट अशोक के द्वारा उनके बौद्ध धर्म के प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख चंदन पहाड़ी पर लिखा गया था।
सम्राट अशोक के शिलालेख को मजार में बदलने के मामले में कई दावे हैं लेकिन प्रशासन के पास कोई भी स्पष्ट जवाब नहीं है। बताया जा रहा है कि करीब 2300 साल पहले सम्राट अशोक द्वारा लिखा गया लघु शिलालेख अब अतिक्रमण की चपेट में हैं। जानकारी के अनुसार, यह शिलालेख सासाराम की चंदन पहाड़ी पर स्थित है।
जानकारों के मुताबिक, सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद करीब 2300 साल पहले बिहार के रोहतास जिले के मुख्यालय सासाराम में कैमूर की पहाड़ियों में स्थित चंदन हिल की प्राकृतिक गुफाओं में इस शिलालेख को उभारा था। बताया जाता है कि यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है। इतिहासकारों के मुताबिक, पूरे देश के अशोक के ऐसे छह-आठ शिलालेख हैं और यह बिहार का अकेला शिलालेख है।
इस शिलालेख से संबंधित कई सारे वीडियो और तस्वीरों में दिखाया गया कि शिलालेख के चारों ओर अवैध निर्माण कर घेर लिया गया है। लोगों का कहना है कि शिलालेख को पहले सफेद चूने से लेप दिया गया और फिर उसे हरे रंग के कपड़े से ढककर मजार में तब्दील कर दिया गया। मामले के सामने आने के बाद बताया गया है कि स्मारक के गेट को बंदकर ताला लगा दिया गया है। वहीं, स्थानीय लोगों और इतिहासकारों का सवाल है कि आखिर सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा 1917 में ही संरक्षित किए गए इस शिलालेख के अस्तित्व को क्यों नहीं बचाया जा रहा है?
इतिहासकार श्यामसुंदर तिवारी बताते हैं कि सम्राट अशोक के द्वारा उनके बौद्ध धर्म के प्रचार के 256 दिन पूरे होने पर यह शिलालेख चंदन पहाड़ी पर लिखा गया था। तिवारी के मुताबिक, इस शिलालेख में सम्राट अशोक ने अपनी यात्रा से संबंधित जानकारी लिखी है।
सासाराम के प्रशासन की तरफ से इस पूरे मामले पर कहा गया कि इस बारे में कई बातें उनके संज्ञान में आईं हैं। हालांकि एएसआई (ASI) द्वारा उनसे कभी कोई जानकारी नहीं मांगी गई है कि वहां शिलालेख है। प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक, इस मामले पर डीएम ने भी जानकारी मांगी है और जल्द ही पहल की जाएगी।