Business of Faith : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के मितई क्षेत्र में एक बाबा ने सपने में हनुमान जी की मूर्ति होने की बात कर बीएसए की जमीन पर कर दी खुदाई, मूर्ति मिलने पर होने लगी है पूजा-अर्चना, मंदिर बनाने की मांग
सी.एस. राजपूत
क्या यह वही देश और समाज है जो चांद पर बसने की बात कर रहा है ? क्या यह विज्ञान का दौर है ? क्या हम इतने अंधभक्त हो गये हैं कि किसी की कुटिल और स्वार्थ भरी चाल को भी न समझ सकें। क्या हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि अचानक जमीन में देवी देवताओं की मूर्तियां कहां से निकल रही हैं ? वैसे तो देश में अंधविश्वास और अंधभक्ति का खेल लंबे समय से चला आ रहा है पर भाजपा के शासनकाल में तो आस्था के नाम पर खुलकर धंधा शुरू हो गया है। जमीन हथियाने का खेल जोर-शोर से चल रहा है। वैसे तो देशभर में कितने धर्मस्थल सरकारी जमीन को कब्जाने की उद्देश्य से बनाये हुए हैं पर आज की तारीख में तो आस्था के नाम पर जमीन हथियाने का एक कारोबार चल निकला है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में एक ऐसा ही वाकया देखने को मिला है।
दरअसल एक बाबा ने सपने में हनुमान जी की मूर्ति होने का दावा करते हुए बीएसए की जमीन पर खुदाई शुरू कर दी। हनुमान जी की मूर्ति का नाम सुनते ही भक्तों की भीड़ वहां पर जमा हो गई। मामला जिले के मितई क्षेत्र का है। दावा किया जा रहा है कि बाबा पंकज को गत कई दिनों से बीएसए की खाली पड़ी जमीन पर हनुमान जी की मूर्ति होने का सपना आ रहा था। शुक्रवार की सुबह बाबा वहां फावड़ा लेकर पहुंच गये और वहां पर खुदाई करने लगे, इसी दौरान तमाम लोगों की भीड़ वहां पर एकत्रित हो गई। दोपहर को जब खुदाई तेजी के साथ की गई तो मिट्टी के अंदर प्रतिमा निकलते ही जय श्री राम के जयकारों से समूचा इलाका गूंज उठा। मूर्ति को रखकर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई। अगरबत्ती धूपबत्ती लगाकर पूजा शुरू हो गई। लोगों ने मंदिर बनाने की मांग शुरू कर दी। बजरंग दल के जिला सह मंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि बाबा को सपना आया था उसी स्थान की भूमि के नीचे हनुमान जी की मूर्ति निकली है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या बाबा का सपना वास्तव में सच है ? या फिर कुछ समय पहले यह मूर्ति गाड़ी दी गई और अब सपने में मूर्ति के आने का दावा करते हुए खुदाई कर यह मूर्ति होना दिखा दिया गया हो। क्या 5-6 महीने पहले किसी जगह पर कोई मूर्ति गाड़ कर उसे खुदाई करके निकाला जाए तो क्या वह मूर्ति पुरानी नहीं लगेगी ? क्या गारंटी है कि इस सपने के पीछे इस बाबा का जमीन हथियाने का कोई षड्यंत्र नहीं है ? और मूर्ति सरकारी पड़ी जमीन पर ही होने का सपना ही क्यों आया ? दरअसल इस तरह की जमीन एक तो बेशकीमती होती है दूसरी यहां पर कोई धर्मस्थल बनाकर धंधा बहुत जोरों से चलता है। क्योंकि ऐसे जमीन काफी होती है तो मंदिर भी भव्य बन सकता है। आज की तारीख में मंदिर एक ऐसा शब्द हो गया है कि उसके खिलाफ कोई बोल नहीं सकता है। आप मंदिर के नाम पर कुछ भी करते रहो। ऐसे में आस्था पर जमीनी काम करने वाले लोग भी संदेह की दृष्टि देखे जाने लगे हैं।