History of Cheetahs : देश की आज़ादी के वर्ष में कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप ने किया था भारत के आखिरी चीते का शिकार, जॉर्डन, इराक, इज़राइल, मोरक्को, सीरिया, ओमान, ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, जिबूती, घाना, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भी विलुप्त हो चुके हैं चीते
सी.एस. राजपूत
नई दिल्ली। इस बार का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन चीतों के नाम रहा। दुनिया में भारत का दबदबा बनाने वाले प्रधानमंत्री को देश ने तोहफे में चीते दिए हैं। देश में विलुप्त घोषित किये जा चुके चीते अफ़्रीकी देश नामीबिया से लाये गए हैं। उम्र 4 से 6 वर्ष के बीच के 8 चीते लाये गए हैं। ये चीते खुद प्रधानमंत्री विशेष विमान से लाये हैं। इनमें पांच चीते मादा हैं जबकि तीन चीते नर हैं। इन चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री ही छोड़ कर आये हैं।
दरअसल किसी समय देश में चीतों का शिकार करना राजाओं का मुख्य शौक माना जाता था। ऐसा माना जाता है कि जब देश आजाद हुआ था तो चीता भारतीय परिदृश्य से गायब हो गया था बताया जाता है कि कोरिया रियासत के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने भारत में अंतिम तीन एशियाई चीतों को गोली मारकर उनका शिकार किया था। 1952 में तत्कालीन भारत सरकार ने चीते को आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
चीता के विलुप्त होने का एक प्रमुख कारण इसका अत्यधिक शिकार भी था। इसके साथ ही आजादी से पहले के दशकों के साथ-साथ उसके बाद के दशकों के दौरान कृषि पर भारत के जोर के कारण भी चीतों की संख्या में गिरावट आई थी। 1940 के दशक से चीता 14 अन्य देशों में भी विलुप्त हो गया था। इन देशों में जॉर्डन, इराक, इज़राइल, मोरक्को, सीरिया, ओमान, ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, जिबूती, घाना, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल है। चीते को लाने के पीछे का उद्देश्य न केवल भारत के ‘ऐतिहासिक विकासवादी संतुलन’ को बहाल करना है, बल्कि एक चीता मेटापापुलेशन विकसित करना भी है जो पशु के वैश्विक संरक्षण में मदद करना बताया जा रहा है।
माना जाता है कि चीता दक्षिण अफ्रीका में उत्पन्न हुआ था और भूमि संपर्क के माध्यम से दुनिया भर में फैल गया था। कालाहारी में, चीता कभी शिकार और शिकार के कारण गंभीर रूप से संकट में था। लेकिन अब स्वस्थ मादा चीता पांच से छह शावक पैदा कर रही है। दक्षिण अफ्रीका में तेजी से चीता की आबादी बढ़ रही है और जगह कम पड़ रही है।
चीता का देश में एक प्राचीन इतिहास है। माना जाता है कि ‘चीता’ नाम की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रक से हुई है, जिसका अर्थ है ‘चित्तीदार’। भारत में चीतों की आबादी काफी व्यापक हुआ करती थी। यह जानवर जयपुर से होते हुए उत्तर में लखनऊ से लेकर दक्षिण में मैसूर तक और पश्चिम में काठियावाड़ से पूर्व में देवगढ़ तक पाया जाता था।