Monday, May 6, 2024
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 Respect to Faith : जब अकबर ने जारी किये थे राम-सिया के सिक्के !

Respect to Faith : अकबर की मृत्यु के बाद हिंदू देवी देवताओं के चित्र वाले सिक्के देखने को हैं मिले 

सी.एस. राजपूत  

नई दिल्ली। हिन्दू मुस्लिम को लेकर राजनीतिक दल कितनी भी नफरत पैदा करने की कोशिश करते हों पर हिन्दू मुस्लिम के भाईचारे की ऐसी दास्तां हैं कि जिनसे प्रेरणा लेकर हिन्दू मुस्लिम साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने नहीं देते हैं। मुग़ल काल में कितने सम्राटों के हिंदुओं की संस्कृति को नष्ट करने के प्रमाण मिलते हों पर हिन्दू संस्कृति और आस्था को बढ़ाने के प्रमाण भी इतिहास में मिलते हैं। हिन्दू संस्कृति को सम्मान देने वाले अकबर के हिन्दू आस्था के प्रतीक राम सीता की आकृति के सिक्के चलाने के प्रमाण भरतीय इतिहास में मिलते हैं। इंग्लैंड के क्लासिकल न्यूमिसमेटिक ग्रुप में सोने का यह सिक्का अभी भी मौजूद है।

अकबर ने जारी किया था राम टका 

मुगल सम्राट अकबर ने अपने शासन काल में ‘राम टका’ जारी किया था। इस सिक्के के एक ओर हिंदुओं के आराध्य राम और सीता का रूप उत्कीर्ण है। सिक्के पर धनुष और बाण धारण किए राम और सीता को एक साथ रखा गया है। ऊपर की तरफ लिखा है- रामसिया

सिक्के के दूसरी तरफ दर्ज शब्दों और अंकों से इतिहास का सुराग मिलता है। पता चलता है कि सिक्का कब का है। सिक्के पर लिखा है: “अमरद इलाही 50” यानी अकबर के शासन के 50 वर्ष। इस तारीख से स्पष्ट हो जाता है कि सिक्के की ढलाई सन् 1604-1605 में हुई थी। राम और सीता को चित्रित करने वाले सिक्के चांदी और सोने जैसे धातुओं से बने थे। तब इस तरह के सिक्के ‘मुहर’ कहलाते थे।

अकबर के सिक्कों का आकार गोल था जो बाद में वर्गाकार हो गया। 1585 ईस्वी से 1590 ईस्वी के दौरान गोल और चौकोर सिक्के एक साथ जारी किए गए। बाद में चौकोर सिक्के छोड़कर गोल सिक्के जारी किए गए। 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद हिंदू आराध्य के चित्र वाले सिक्के देखने को नहीं मिले।

राम सिया के चित्र वाले सिक्के को उस समावेशी साम्राज्य का प्रतीक माना गया, जिसकी कल्पना अकबर ने अपने अंतिम वर्षों में की थी। जहां हिंदू और मुसलमान एक साथ शांति और सामंजस्य के साथ रह सकते थे।

अकबर ने अपने नए समरूप धर्म को दीन-ए-इलाही नाम दिया था। इसकी शुरुआत 1582 ई में की गई थी। दीन-ए-इलाही में सभी धर्मों के मूल तत्व को शामिल किया गया था। हिंदू और इस्लाम के अलावा दीन-ए-इलाही में पारसी, जैन एवं ईसाई धर्म के मूल विचारों को भी सम्मिलित किया गया था। अकबर ने इलाही कैलेंडर भी शुरू किया था।

कहां हैं सिक्के?

एक राष्ट्रीय अख़बार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया में अब सिया-राम वाले केवल तीन सिक्के मौजूद हैं। इनमें से एक चांदी और दो सोने का है। सार्वजनिक रूप से केवल चांदी का सिक्का देखा गया है, जो इंग्लैंड के क्लासिकल न्यूमिसमेटिक ग्रुप में है।

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