Sahara Protest : सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय की जिंदगी बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में आगे बढ़ी है। दोस्ती करने और निभाने के लिए जाने जाने वाले सहारा के श्री की दोस्ती वैसी तो राजनीतिक हलकों, बॉलीवुड और खेल क्षेत्र में बहुत से लोगों से रही है पर सुब्रत राय, अमिताभ बच्चन और अमर सिंह की दोस्ती बिल्कुल फिल्म अकबर अमर एंथोनी की तरह थी। दोस्ती भी ऐसी कि ये तीनों एक दूसरे पर पूरी तरह मेहरबान रहे।
सी.एस. राजपूत
सहारा के चेयरमैन सुब्रत राय की जिंदगी बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में आगे बढ़ी है। दोस्ती करने और निभाने के लिए जाने जाने वाले सहारा के श्री की दोस्ती वैसी तो राजनीतिक हलकों, बॉलीवुड और खेल क्षेत्र में बहुत से लोगों से रही है पर सुब्रत राय, अमिताभ बच्चन और अमर सिंह की दोस्ती बिल्कुल फिल्म अकबर अमर एंथोनी की तरह थी। दोस्ती भी ऐसी कि ये तीनों एक दूसरे पर पूरी तरह मेहरबान रहे। जहां सुब्रत राय ने अमर सिंह का हस्तक्षेप पूरे सहारा ग्रुप में कर रखा था, वहीं अमर सिंह के कहने पर उन्होंने अमिताभ बच्चन को एबीसीएल में भारी घाटा होने पर 1०० करोड़ रुपये भी दिये थे। ऐसे ही अमर सिंह ने जहां सुब्रत राय के लिए अपने सभी राजनीतिक संबंधों को इस्तेमाल किया वहीं बॉलीवुड में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने सुब्रत राय के लिए ठुमके भी लगाये।
एक समय था कि अमर सिंह का हस्तक्षेप न केवल अमिताभ बच्चन बल्कि सुब्रत राय के परिवार में भी पूरी तरह से था। ऐसे ही सुब्रत राय के हर समारोह में अमर सिंह और अमिताभ बच्चन परिवार की तरह शरीक होते थे। मुलायम सिंह सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अमर सिंह ने सुब्रत राय के लिए उत्तर प्रदेश विकास परिषद बनाई थी, जिसमें वह खुद को अध्यक्ष तो सुब्रत राय को इस परिषद में मुख्य रूप से लिया था। अमर सिंह के लिए तो सुब्रत राय ने गाड़ी, गार्ड और ड्राइवर उपलब्ध करा रखे थे। दरअसल अमर सिंह सहारा में काउंसिल डायरेक्टर थे। ऐसे ही अमिताभ बच्चन की पत्नी फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन भी सहारा में काउंसिल डायरेक्टर थीं। हालांकि ये सब संबंध सुब्रत राय ने सहारा में निवेश की जनता की कमाई के बलबूते बनाए थे।
कैसे बिगड़ी अमर सिंह से सुब्रत राय की दोस्ती
जब इस तिकड़ी में बिगड़ी तो ऐसी कि एक दूसरे से बात करना भी पसंद नहीं करते थे। दरअसल २००६ में जब कांग्रेस ने सुब्रत राय पर शिकंजा कसा तो वह डिप्रेशन में चले गये। बताया जाता है कि उसी समय अमर सिंह सहारा में जमा अपना पैसा मांगने सुब्रत राय के पास चले गये। बताया तो यहां तक जाता है कि उस समय अमर सिंह ने सुब्रत राय से यहां तक कह दिया था कि दादा आपका कुछ पता नहीं है कि कब निकल लो। मुझे मेरा पैसा चाहिए। अमर सिंह की ये बातें सुब्रत राय को बड़ी नागवार लगी और उनके संबंध अमर सिंह से बिगड़ते चले गये। हालांकि साहिबाबाद स्थित जब अमर सिंह के पिता जी हरिश्चंद्र सिंह का निधन हुआ तो सुब्रत राय शोक व्यक्त करते वहां पहुंचे थे।
क्यों हुआ अमिताभ अमर सिंह का अलगाव
सुब्रत राय की तरह ही अमर सिंह की दोस्ती अमिताभ बच्चन से भी थी। अमर सिंह और अमिताभ बच्चन की दोस्ती को लेकर लोग तरह-तरह की बातें किया करते थे। यह अभिताभ बच्चन के परिवार में अमर सिंह का विशेष सम्मान ही था कि अमिताभ बच्चन के समारोह में अमर सिंह विशेष अतिथि ही होते थे। इस दोस्ती में दरार २०१० में तब पड़ी जब अमर सिंह और मुलायम सिंह यादव के बीच अदावत बढ़ी। दरअसल २००९ के लोकसभा चुनाव उप चुनाव में जब अमर सिंह के कहने पर सपा ने फिरोजाबाद से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया तो कांग्रेस ने डिंपल यादव के सामने राज बब्बर को चुनाव लड़ा दिया। डंपल यादव चुनाव हार गईं तो अमर सिंह यादव परिवार के निशाने पर आ गये। यादव परिवार की कोई महिला पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ीं और हार गईं। दरअसल २००९ के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कन्नौज और फिरोजाबाद दोनों सीटों पर चुनाव जीते थे। अखिलेश यादव के फिरोजाबाद से इस्तीफा देने पर यह सीट खाली हुई थी।
जब सपा महासचिव रामगोपाल यादव ने मामले को लेकर अमर सिंह पर निशाना साधा तो अमर सिंह ने आजम खां, बेनी प्रसाद वर्मा और राजबब्बर की तरह रामगोपाल यादव को भी पार्टी से निकालने का दबाव मुलायम सिंह पर बनाया। राजनीति के खिलाड़ी मुलायम सिंह सब कुछ कर सकते थे पर अपने परिवार के किसी सदस्य को पार्टी से बाहर निकालने की वह सोच भी नहीं सकते थे। वह भी पार्टी का थिंक टैंक माने जाने वाले रामगोपाल यादव को। अमर सिंह को पार्टी से निकाल दिया गया।
ऐसे में अमर सिंह चाहते थे कि जया बच्चन भी समाजवादी पार्टी छोड़ दें पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। ऐसे में अमर सिंह अमिताभ बच्चन और जया बच्चन दोनों से नाराज हो गये। अमिताभ बच्चन से नाराज अमर सिंह ने उनके परिवार कर कई हमले बोले। हालांकि अमिताभ बच्चन ने उसका कभी जवाब नहीं दिया। अमर सिंह ने भी निधन के पहले एक वीडियो जारी कर अमिताभ बच्चन से अपने बुरे बर्ताव के लिए मांफी मांग ली थी।
यह वह दौर था जिसमें सुब्रत राय, अमर सिंह और अमिताभ बच्चन की दोस्ती की कहानी किसी समय लोगों के सिर चढ़कर बोलती थी। यह वह दौर था जब अमर सिंह राजनीति, सुब्रत राय बिजनेस और अमिताभ बच्चन बॉलीवुड में चमकते सितारे थे। इन सबके लिए सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव सम्मानीय थे। सुब्रत राय, अमिताभ बच्चन और अमर सिंह की दोस्ती की अपनी अनोखी कहानी है। अमर सिंह यूपी की राजनीति में उद्योग जगत से होते हुए पहुंचे थे तो सुब्रत राय राजनीतिक लोगों के सहारे उद्योग जगत तक पहुंचे थे। सुब्रत राय सपा सरकार का फायदा अपने कारोबार के लिए उठाना चाहते थे तो अमर सिंह को सपा को आगे बढ़ाने के लिए फंडिंग के लिए एक अच्छे उद्योगपति की जरूरत थी, जिसकी भरपाई सुब्रत राय पूरी कर रहे थे।
यह अमर सिंह का सहारा ग्रुप में हस्तक्षेप ही था कि जब सहारा समय साप्ताहिक अख़बार निकालने के बाद सुब्रत राय ने राष्ट्रीय सहारा दैनिक को बंद करने का निर्णय लिया था तो अमर सिंह यह कहकर अख़बार को बंद होने से बचा लिया था कि दादा मुझे उत्तर भारत में एक अख़बार की जरूरत है। तब अमर सिंह के कहने पर सुब्रत राय ने राष्ट्रीय सहारा को बंद नहीं किया था। ऐसे ही 1990 के दशक में जब अमिताभ बच्चन की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई थी। सुपरस्टारडम के कारण उन्होंने अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड (ABCL) खोल ली। लगातार फ्लॉप होती फिल्मों के कारण उनकी कंपनी दिवालिया हो गई। कोई भी अमिताभ बच्चन की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था। चाहे वह बॉलीवुड हो या फिर उद्योग जगत।
ऐसे में अमर सिंह अमिताभ बच्चन के लिए देवदूत बनकर आए। उन्होंने अमिताभ को इस गंभीर परिस्थिति से निकलने में काफी मदद की। इस परिस्थिति में अमिताभ को लेकर अमर सिंह सुब्रत राय सहारा के पास पहुंचे थे। तब सुब्रत राय ने अमिताभ की मदद की थी। दरअसल यहां से ही इन तीनों की जुगलबंदी शुरू हुई थी। यदि अमर सिंह ने सुब्रत राय का फायदा उठाया तो अमर सिंह की राजनीतिक हैसियत का फायदा अमिताभ और सहारा परिवार ने भी उठाया।
हर बड़े आयोजन में दिखते थे साथ
एक समय अमर सिंह, अमिताभ बच्चन और सुब्रत राय को विशेष मौकों पर एक साथ देखा जाता था। 2004 में जब सुब्रत राय ने लखनऊ सहारा शहर में अपने बेटों सुशांतो राय और सीमांतों राय की शाही शादी की तो अमर सिंह पर अमिताभ बच्चन इस शादी में सुब्रत राय के खास मेहमान थे। ऐसे ही नवंबर 2010 में सुब्रत राय सहारा की भतीजी शिवांका की शादी हुई तो सुब्रत राय ने लखनऊ में इसको लेकर भी ग्रैंड आयोजन किया था। कार्यक्रम में उद्योग से लेकर फिल्म जगत के लोग जुटे थे। अमिताभ बच्चन और अमर सिंह इस शादी में भी विशेष अतिथि थे। 23 नवंबर 2010 के इस आयोजन में मशहूर क्रिकेटर सौरभ गांगुली भी पहुंचे थे। कहा जाता है कि इस आयोजन में भी सुब्रत राय सहारा ने पानी पैसे की तरह बहाया था।
सुब्रत राय ने ऐसे ही दोस्ती निभाने और बड़े आयोजनों और अय्याशी करने और कराने में लोगों के सहारा में निवेश किये पैसों को लुटा दिया। अब निवेशक और सहारा में पैसे जमा कराने वाले एजेंट पैसों के लिए मारे मारे फिर रहे हैं और सुब्रत राय और उनका परिवार मजे मार रहा है।