Thursday, May 2, 2024
spot_img
Homeदिल्ली NCRDelhi Festival sickness! क्राइम ब्रांच ने नकली जीरा बनाने वाली फैक्टरी का...

Delhi Festival sickness! क्राइम ब्रांच ने नकली जीरा बनाने वाली फैक्टरी का किया भंडाफोड़

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कंझावला में नकली जीरा बनाने वाली एक फैक्टरी का किया है पर्दाफाश, फैक्टरी मालिक सुरेश गुप्ता को कर लिया गया है गिरफ्तार, 28 टन से ज्यादा किया गया है नकली माल जब्त

सी.एस. राजपूत 

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी के कंझावला इलाके में नकली जीरा बनाने वाली एक फैक्टरी का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने फैक्टरी मालिक बुध विहार निवासी सुरेश गुप्ता को गिरफ्तार कर यहां से करीब 28 टन से अधिक नकली जीरा और इसे तैयार करने में इस्तेमाल अन्य सामान बरामद किया है। बरामद खेप की कीमत बाजार में करीब एक करोड़ रुपये बताई जा रही है। पुलिस धंधे में शामिल अन्य लोगों की पहचान करने में जुटी है।

क्राइम ब्रांच के मुताबिक टीम को कंझावला इलाके में एक फैक्ट्री में नकली जीरा बनाए जाने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने स्वास्थ्य की टीम के साथ इसकी जांच शुरू की। पता चला कि अवैध फैक्टरी को सुरेश गुप्ता चला रहा है। वह नकली जीरा की एक बड़ी खेप दिल्ली के बाहर भेजने वाला है। पुलिस ने 18 अक्टूबर की रात फैक्टरी में छापेमारी की, जहां 400 बोरे तैयार नकली जीरा मिला।

एक बोरे का वजन करीब 70 किलो था। 35 बैग सुखी जंगली घास, 10 डिब्बे गुड़ का सिरका, 25 बैग पत्थर का चूरा, एक छलनी, वजन करने वाला इलेक्ट्रॉनिक कांटा, दो तिरपाल और एक ट्रक जब्त किया है। छापेमारी के वक्त खाद्य सुरक्षा विभाग के कर्मचारियों को भी मौके पर बुलाया गया था। जिन्होंने सैंपल लिए हैं।

फैक्टरी मालिक काफी अरसे से नकली जीरा बनाने का काम कर रहा था। लेकिन इसकी भनक पुलिस को नहीं लगे, इसका पूरा ख्याल रखता था। वह इसके लिए लगातार अपनी फैक्टरी का ठिकाना बदलता रहता था। पुलिस ने बताया कि वह 9वीं कक्षा तक पढ़ा हुआ है। उसपर पहले से कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। वह नकली जीरे की एक बड़ी खेप तैयार कर उसे बेचने की फिराक में था, तभी उसे पुलिस ने धर दबोचा।

पत्थर चूरा, घास और सिरके से करते थे तैयार

नकली जीरा और इसे बनाने वाले सामान को लेकर जब फैक्टरी मालिक से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि फैक्टरी में नकली जीरा घास, गुड़ के सिरके और पत्थर के चूरा को मिलाकर तैयार किया जाता था। यहां काम करने वाले मजदूर असली जीरे की तरह रंग और आकार देते थे। यह इतनी अच्छी तरह से बनाया गया था कि असली और नकली की पहचान करना मुश्किल था। बाजार में बेचने के लिए इसमें असली जीरा भी मिलाया जाता था।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments