दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
किसानों को जबरन धरने से हटाकर उनका टेंट भी हटा दिया । इसके बाद यूपीसीडा ने पिलर आदि लगाने का कार्य दोबारा शुरू करा दिया। हिरासत में लिए किसानों के विरुद्ध 151 की कार्रवाई की गई है।
गाजियाबाद के अहिल्याबाई में भूमि पर कब्जे का विरोध कर रहे 18 किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। उन्हें जबरन धरने से हटाकर उनका टेंट भी हटा दिया । इसके बाद यूपीसीडा ने पिलर आदि लगाने का कार्य दोबारा शुरू करा दिया। हिरासत में लिए किसानों के विरुद्ध 151 की कार्रवाई की गई है।
ट्रॉनिका सिटी विस्तार के लिए 2010-2011 में अहिल्याबाई माजरे की 230.53 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया था। यूपीसीडा काफी दिनों से अधिग्रहित भूमि पर कब्जे का प्रयास कर रहा था, लेकिन किसानों के विरोध के चलते वह कब्जा नही कर पा रहे थे। गुरुवार को यूपीसीडा ने भूमि पर कब्जा लेकर भूमि की हद पर सीमेंट के पिलर आदि लगाने का कार्य शुरू किया था।
टेंट लगाकर धरने पर बैठ गए थे किसान
शुक्रवार को किसानों ने कार्य रुकवा दिया और रखवाली के लिए मौके पर टैंट लगाकर बैठ गए। शनिवार और रविवार को छुटटी और बारिश के कारण यूपीसीडा ने मौके पर काम कराया ही नहीं था। सोमवार सुबह यूपीसीडा ने मौके पर काम शुरू कराया तो किसानों ने जबरन रोक दिया और वार्ता की मांग करने लगे। दोपहर में एसडीएम संतोष कुमार राय, तहसीलदार शिवनरेश, सीओ रजनीश उपाध्याय और यूपीसीडा के डीजीएम आरएस यादव आदि मौके पर पहुंचे और किसानों के साथ वार्ता की।
हिरासत में लिए गए 18 किसान
किसानों ने विकसित भूमि वापस करने, प्रभावित गांवों का संपूर्ण विकास, ग्रामीण युवाओं को रोजगार तथा भूमि का मुआवजा भी बढाकर देने की मांग की। मुआवजे को छोड़कर अधिकारियों ने अन्य मांगों को पूरा कराने का आश्वासन भी दिया, लेकिन किसान नहीं माने। इसके बाद दोपहर करीब तीन बजे अधिकारियों ने भूमि पर यूपीसीडा का पिलर आदि गाड़ने का कार्य दोबारा शुरू करा दिया। इसके विरोध में किसान जेसीबी मशीन के सामने लेट गए। पुलिसकर्मियों ने हल्का बल प्रयोग कर किसानों को वहां से हटा दिया। खींचातानी के बाद पुलिस ने मौके से 18 किसानों को हिरासत में लिया है, जिनमें भाकियू नेता भी शामिल हैं। मौके पर यूपीसीडा का काम शुरू हो गया है।
किसानों की मांग
अहिल्याबाद माजरे में अधिग्रहित की गई भूमि अगरौला, पाबी तथा बागपत जनपद के घिटोरा गांव के किसानों की है। जिसकी एवज में किसानों को 11 सौ रुपये प्रतिवर्ग मीटर की दर से करार भरकर मुआवजा दिया गया था। किसानों का कहना है कि करार की शर्तों के मुताबिक यूपीसीडा को अधिग्रहित भूमि पर तीन वर्ष के दौरान कब्जा लेना था। किसानों को छह प्रतिशत विकसित भूमि वापस, प्रभावित गांवों का संपूर्ण विकास तथा युवाओं को रोजगार दिलाया जाना था, लेकिन यूपीसीडा ने ना ही तीन वर्षों में कब्जा लिया और ना ही अनुबंध के मुताबिक दूसरी शर्ते पूरी की। किसानों की मांग है कि उन्हे 10 प्रतिशत विकसित भूमि वापस मिलनी चाहिए।
यह बोले अधिकारी
एसडीएम संतोष कुमार राय ने कहा कि अहिल्याबाद में यूपीसीडा का पिलर आदि के कार्य को रुकने नही दिया जाएगा। किसानों को समझाने का प्रयास किया गया था, लेकिन वह नही माने को तो उन्हें मौके से हटाना पड़ा। वहीं यूपीसीडा के डीजीएम आरएस यादव ने कहा कि अधिग्रहीत भूमि को चिहिन्त कर जल्द औद्योगिक कॉलोनी विकसित होगी। प्रभावित किसानों को छह प्रतिशत विकसित भूमि वापस लौटाई जाएगी। पूरे गांवों का विकास कराया जाएगा। उद्योग स्थापित होने के बाद रोजगार दिलाने का प्रयास किया जाएगा।