Friday, November 8, 2024
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Delhi Cancer Drug : आरोपितों ने बेच डाली डेढ़ सौ करोड़ की नकली कैंसर की दवा, नेपाल में थी फैक्ट्री लगाने की तैयारी

 
डा. पबित्रा ने बंगाल के दुर्गापुर एक नर्सिंग होम बनाने के लिए कई बीघा जमीन खरीदी है, आरोपित वर्ष 2018 से अब तक डेढ़ सौ करोड़ रुपये की नकली दवा बेच चुके हैं। जांच में पता चला है कि कैंसर उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की 10 गोली के एक पत्ते की कीमत पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख तक है।

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 
नई दिल्ली। कैंसर की नकली दवाएं बेचने के मामले में गिरफ्तार आरोपितों ने गत चार वर्षों में डेढ़ सौ करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की है। पुलिस जांच में पता चला है कि डा पबित्रा और इसके चचेरे भाई ने गुरुग्राम में करीब 10 करोड़ रुपये के दो प्लाट खरीदे हुए हैं। इस पर कई मंजिल के फ्लैट बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा डा. पबित्रा ने बंगाल के दुर्गापुर एक नर्सिंग होम बनाने के लिए कई बीघा जमीन खरीदी है।

 
आरोपित डेढ़ सौ करोड़ रुपये की नकली दवा बेच चुके हैं

डा. अनिल के साथ मिलकर डा पबित्रा ने नेपाल में भी करोड़ों की जमीन खरीदी है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह नेपाल में भी नकली दवा बनाने की फैक्टरी लगाने की तैयारी कर रहे थे। मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि आरोपित वर्ष 2018 से अब तक डेढ़ सौ करोड़ रुपये की नकली दवा बेच चुके हैं। जांच में पता चला है कि कैंसर उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की 10 गोली के एक पत्ते की कीमत पांच हजार रुपये से लेकर दो लाख तक है। इस कीमत पर आरोपित आधे से भी कम दामों पर ही दवाएं उपलब्ध करा रहे थे।

 
मास्टरमाइंड है डा. पबित्रा

पुलिस सूत्रों के मुताबिक गिरोह का मास्टरमाइंड डा. पबित्रा है। यह पहले दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में काम कर चुका है। वहां पर कैंसर ग्रस्त मरीज आते थे। उसे पता था कि कैंसर की दवा काफी महंगी है। ऐसे में वह डा. अनिल और डा रसेल के साथ मिलकर नकली दवाई बनाने की योजना बनाई। चूंकि कैंसर जानलेवा बीमारी है, मरीज को कुछ हो जाने पर कोई दवा के नकली होने पर शक भी नहीं करता था। ऐसे में इनका धंधा खूब फल-फूल रहा था। यही वजह है कि आरोपित लगातार संपत्ति खरीद रहे थे। पुलिस गिरफ्तार आरोपितों इनके अन्य संपत्तियों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
 

नेपाल और बांग्लादेश के बैंकों का उपयोग करने का है शक

पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपित अपने ग्राहकों से नकदी और बैंक खातों में पैसा लेते थे। जिस दवा को आरोपित कोरियर के माध्यम से ग्राहकों को भेजते थे। उसकी रकम वे बैंक खातों में मंगाते थे। पुलिस को संदेह है कि आरोपित जिस बैंक में पैसे मांगते थे वह नेपाल और बांग्लादेश के है। इसमें डा. अनिल और डा. रसेल की भूमिका है। पुलिस फिलहाल आरोपिताें के मनी ट्रेल की जानकारी जुटा रही है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि आरोपितों द्वारा गत चार वर्षों में अपने ग्राहकों से कितने की नकदी का लेनदेन किया गया है।

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