Thursday, November 7, 2024
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बीजेपी के बागी गजेंद्र बने पंचायती उम्मीदवार , सभी पार्टियों को क्या संदेश दे रहा है मुंडका का माहौल? 

-राजेंद्र स्वामी दिल्ली दर्पण टीवी 

मुंडका। दिल्ली के मुंडका वार्ड से बीजेपी के घोषित प्रत्याशी गजेंद्र दराल की टिकट क्या कटी, पुरे मुंडका विधानसभा की राजनीति ही बदल गयी। गजेंद्र के साथ हुयी इस घटना से गजेंद्र दराल के पक्ष में ऐसी सहानुभूति की लहर पैदा कर दी कि मुंडका में जनसैलाब उसके समर्थन में खड़ा हो गया है। अब गजेंद्र निर्दलीय उम्मीदवार नहीं रहे बल्कि पंचायती उम्मीदवार हो गए है। गजेंद्र के समर्थन में गावं के गणमान्य लोग ही नहीं बल्कि स्थानीय बीजेपी नेता और मंडल भी अपने पद से इस्तीफा देकर साथ खड़े हो गए है। अब माहौल कुछ ऐसा हो गया है की इस पंचायती उम्मीदवार से बीजेपी तो भयभीत है ही साथ ही आफत आम आदमी पार्टी की भी हो गयी है। लगता है जैसे पूरा मुंडका सभी राजनैतिक पार्टियों को सबसे सीखने की मूड में है। मुंडका गांव की पंचायत ने गजेंद्र दराल को अपना समर्थन देने का ऐलान कर यह भी साफ़ सन्देश दे दिया है की वह अन्याय के खिलाफ है फिर चाहे वह कोई राजनैतिक पार्टी हो या गावं का हो कोइ पावरफुल परिवार।  गजेंद्र खुद मन रहे है की उनकी लड़ाई बीजेपी ने सही बल्कि इस इलाके को अपनी जागीर समझने वाले व बीजेपी को ब्लैकमेल करने वाले एक परिवार से है। गजेंद्र दराल के पक्ष में उमड़ी सहनुभूति की लहार अब लोगों के गुस्से में भी बदल रही है। बीजेपी के स्थानीय नेताओं को इस बात का गुस्सा है की पार्टी ने कार्यकर्ताओं और लोगों की भावनाओं की अनदेखी कर बार बार चुनाव हार रहे मास्टर आज़ाद की मनमानी के आगे झुक गयी। गजेंद्र सिंह जैसे ही पार्टी सिंबल लेने पहुंचे तो लेकिन वह मास्टर आज़ाद के करीबी अरुण दराल को दे दिया। गजेंद्र दराल भी पिछला चुनाव हर चुकें है ,लेकिन चुनाव हारने के बाद भी वे लोगों के बीच बने रहे और लोगों की सेवा करते रहे। यही वजह रही ही पार्टी ने उन्हें फिर से टिकट दे दिया। टिकट लेकर पंचायत में पहुंचे और सभा भी की। लेकिन अब जब सिंबल किसी और को दे दिया तो गजेंद्र को यह अपमान लगा और पंचायत को यह अन्याय लगा। यही वजह है अब वे पंचायती उम्मीदवार के रूप में मैदान में है। 

मुंडका में गजेंद्र दराल के पक्ष में बने रहे माहौल के पीछे केवल पंचायत की पावर ही नहीं है बल्कि लोगों का आम आदमी पार्टी के खिलाफ गुस्सा भी है। मुंडका में इस समय साफ़ सफाई और जलभराव सबसे बड़े समस्या है। यहाँ से पार्षद और और विधायक दोनों ही आम आदमी पार्टी से है। मुंडका के कई इलाके आज भी जलभराव से जूझ रहे है। सड़कों का बुरा हाल है। कई इलाकों में पानी की किल्लत है। बारिश में जो हालत मुंडका की हुयी उसे आज भी याद कर लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। यहाँ से पार्षद अनिल लकड़ा नार्थ दिल्ली नगर निगम में नेता विपक्ष भी रहे ,इसे उनकी नियत की कमी कहीं या काबिलियत की की मुंडका की मुसीबतें कम नहीं हुयी। मुंडका विधायक धर्मपाल लकड़ा को यहाँ तक कहना पड़ा की पता नहीं हमारी ही सरकार मुंडका के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है। मुंडका विधायक के इस बयां के बाद दिल्ली सरकार ने यहाँ भारी फण्ड दिया और विकास कार्य शुरू होने लगी। लेकिन इस सबके बावजूद लोगों  का गुस्सा अभी कायम है। स्थानीय पार्षद अनिल लकड़ा और विधायक के बीच तालमेल का भी अभाव रहा। कांग्रेस यहाँ अभी कहीं दिखाई नहीं दे रही है। यही वजह है की अब मुंडका बीजेपी के साथ साथ आम आदमी पार्टी दोनों को सबक सिखाने के मूड में है।

मुंडका का माहौल कुछ ऐसा बन गया ही की लोग राजनैतिक पार्टी को नहीं बल्कि उम्मीदवार की छवि , सच्चाई और अच्छाई को समर्थन देने की चर्चाएं कर रहे है। दिल्ली देहात इलाकों में आज लोग पंचायत के फैसलों का सम्मान करते है। दिल्ली देहात के सबसे लोकप्रिय नेता स्व. साहिब सिंह वर्मा यदि दिल्ली के मुख्यमंत्री बन सके तो इसके पीछे पंचायतों की ही पावर थी। वे भी पंचायतों का बहुत सम्मान करते थे। लेकिन मौजूदा समय में उनके परिवार का ही एक हिस्सा मनमानी कर रहा है। यह पंचायत को स्वीकार नहीं। अब पंचायत ने अपना उम्मीदवार बनकर दिल्ली देहात को यह संदेश दिया है की वे पार्टी से ऊपर उठाकर दिल्ली देहात के हितों को देखकर वोट करें। उन्हें वोट दें जो विकास की बात करें ,सेवा की बात करें। जन भावनाओं की अनदेखी करने वालों को बर्दाश्त ना करें। मुंडका वार्ड से शुरू हुयी यह लहर  अब पुरे मुंडका विधानसभा में फ़ैल रही है। ऐसे में यदि मुंडका दिल्ली की सभी राजनैतिक पार्टियों के लिए एक नजीर बन जाये तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।

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