ICMR ने ड्रोन के जरिये जरूरतमंद को रक्त की आपूर्ति करने के पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल होता है तो कोरोड़ों लोगों की जान बचाई जा सकेगी। फिलहाल सड़क मार्ग से रक्त पहुंचाने में खासी दिक्कते होती है।
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
नोएडा । भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने ड्रोन के जरिये जरूरतमंद को रक्त की आपूर्ति करने के महत्वाकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट को अपनी मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट के लिए तीन संस्थानों का चयन किया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज, राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान कासना (जिम्स) और (जिम्स शामिल हैं।
करोड़ों लोगों की बच सकती है जान
पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो देश में करोड़ों लोगों की जान बचाई जा सकेगी तो समय पर रक्त न मिलने के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। मेघालय और मणिपुर के दूर दराज के इलाकों में ड्रोन से वैक्सीन पहुंचने का प्रयोग सफल होने के बाद ड्रोन के जरिये दूरदराज इलाकों तक रक्त आपूर्ति के पायलट प्रोजेक्ट को सहमति दी गई है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने दी मंजूरी
राजकीय आयुर्विज्ञाान संस्थान कासना के निदेशक ब्रिगेडियर डा. आरके गुप्ता का कहना है कि सड़क मार्ग से रक्त पहुंचने में काफी समय लगता है। समय पर रक्त न मिलने के कारण मरीज की मौत हो जाती है। दूर दराज में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरतमंद मरीजों को रक्त की समय पर आपूर्ति बड़ी चुनौती है। इसलिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने इस पायलट प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी है। इसके तहत रक्त को निर्धारित स्थान पर ड्रोन और एंबूलेंस के जरिये भेजा जाएगा।
रक्त भेजने और निर्धारित स्थान पर पहुंचे पर दोनों स्थितियों में रक्त पैरामीटर की विस्तृत जांच की जाएगी। इसके लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज और जिम्स दोनों सेंटर ने इन परिस्थितियों को जांचा जाएगा। संपूर्ण रक्त, रेड सेल, जमा हुआ प्लाज्मा, प्लेटलेट्स आदि को भेजकर उनके पैरामीटर की जांच की जाएगी। प्रोजेक्ट के तौर पर दस किमी, 25 किमी, पचास किमी, सौ किमी आदि दूर लक्ष्य तक रक्त को एंबूलेंस व ड्रोन के जरिये भेजा जाएगा और हेमाटोलाजिकल व बायोकैमिकल पैरामीटर पर जांच की जाएगी।
जेपी इंस्टीट्यूट इसके लिए ड्रोन व अन्य तकनीकी एवं विश्लेषण की सहायता उपलब्ध कराएगा। डा. आरके गुप्ता ने बताया कि जिम्स उत्तर प्रदेश में इकलौता मेडिकल कालेज है, जिसे इस प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।
पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर ड्रोन के जरिये दूर दराज के इलाकों तक रक्त की आपूर्ति कम से कम समय में करना संभव हो जाएगा और रक्त की कमी के कारण मौत के मुंह में जाने से मरीज या घायल को बचाया जा सकेगा। इस प्रोजेक्ट में जिम्स के निदेशक के अलावा डा. रंभा पाठक, डा. शालिनी बहादुर शामिल हैं।