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Delhi Politis : आखिर मुस्लिम वक्फ बोर्ड भी क्यों खड़ा हो गया केजरीवाल के सामने ?

तो क्या आम आदमी पार्टी से छिटक रहा है मुस्लिम वोटबैंक 

सी.एस. राजपूत 

कहा जाता है कि आदमी की ज्यादा अक्लमंदी कई बार उसके लिए घातक साबित हो जाती है। ऐसा ही आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साथ हो रहा है। अरविंद केजरीवाल पर मुस्लिमों को बढ़ावा देने का आरोप भी लगा और हिंदुत्व की ओर लपकने का भी। मुस्लिमों को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर उनसे हिन्दू नाराज हैं तो हिन्दुत्व की ओर उनके रुझान से मुस्लिम। जहां बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ के अरविंद केजरीवाल पर मुस्लिम वक्फ बोर्ड को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर मंदिरों के पुजारियों को भी वेतन और दूसरी सुविधाओं का मुद्दा उठाकर हिन्दुओं को केजरीवाल के खिलाफ किया है वहीं वेतन न मिलने का आरोप लगाकर मुस्लिम वक्फ बोर्ड भी केजरीवाल के खिलाफ खड़ा हो गया है।  


दरअसल वेतन न मिलने से नाराज दिल्ली वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों ने काम पूरी तरह से ठप कर दिया है। कर्मचारियों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया था। वहीं इमामों ने भी चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर उनका वजीफा नहीं मिला तो नाराज इमाम और मुअज्जिन मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेगे। दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमाम और मुअज्जिन को गत 8  महीने से वेतन नहीं मिला है। दिल्ली वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों, इमामों और मुअज्जिन कई महीनों से वेतन और वजीफा कई महीने से वेतन और वजीफा नहीं मिलने से हड़ताल पर चले गये हैं। 
दरअसल दिल्ली वक्फ बोर्ड से संबद्ध कई मस्जिदों के इमामों ने वेतन का भुगतान न किये जाने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के पास प्रदर्शन किया है। वेतन न देने का आरोप लगाने वाले प्रदर्शनकारी एक इमाम ने कहा है कि सरकारी अधिकारियों तक उनकी बात पहुंचाने के लिए वे यहां एकत्रित हुए हैं। वक्फ बोर्ड से संबद्ध मस्जिदों के इमामों और मुमज्जिनों ने गत सप्ताह दावा किया था कि उन्हें पांच महीने से अधिक समय से मासिक वेतन नहीं मिला है। उन्होंने इसको लेकर केजरीवाल के आवास के बाहर प्रदर्शन करने की धमकी भी दी थी। बोर्ड के कुछ कर्मचारियों ने दावा किया कि उन्हें इसलिए वेतन नहीं मिल रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा बोर्ड को दिया जाने वाला अनुदान राजस्व विभाग ने रोक दिया है। इसे केजरीवाल का मुस्लिमों को अपनी जेब का वोटबैंक मानना कहें या फिर हिन्दुत्व पर जोर देना केजरीवाल से मुस्लिम वोटबैंक बिदक रहा है।
यह केजरीवाल की परेशानी बढ़ाने वाला ही है कि जो वक्फ बोर्ड आज केजरीवाल के सामने मोर्चा खोला हुए खड़ा है। उसी वक्फ बोर्ड को हर साल 14.50  करोड़ रुपये देने का आरोप केजरीवाल पर है। सात साल में दिल्ली वक्फ बोर्ड को 101 करोड़ रुपये देने का आरोप अरविंद केजरीवाल ने झेला है। बाकायदा एक आरटीआई में मिले जवाब में यह खुलासा हुआ है।
दरअसल गत दिनों आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार साल 2015-16  में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को 1.25  करोड़ रुपये दिये थे। इसके बाद यह राशि हर साल बढ़ाई गई। साल 2016-17  में 1.37  करोड़ रुपये और २०१७-१८ में 5  करोड़ रुपये दिये गये। यह भी जमीनी हकीकत यह है कि अरविंद केजरीवाल ने भाजपा के हिंदुत्व को अपनाते हुए भारतीय नोटों पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की तस्वीर छापने की मांग कर दी थी। आरटीआई में मिले जवाब के अनुसार साल 2016-17  में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को 1.25   करोड़ रुपये गये थे।  
मतलब केजरीवाल पर मुस्लिम वक्फ बोर्ड को पैसे देने का आरोप भी केजरीवाल ने झेला और अब वक्फ बोर्ड का आक्रोश भी उन्हें झेलना पड़ रहा है। मुस्लिमों की नाराजगी की बात एमसीडी चुनाव में भी देखी गई है। मुस्लिम क्षेत्रों में मुस्लिमों ने आम आदमी पार्टी को वोट न देकर कांग्रेस को दिया है। भले ही दिल्ली एमसीडी में केजरीवाल कर सरकार बन गई हो पर चुनावी सर्वे के अनुसार आम आदमी पार्टी पिछड़ी है और बीजेपी उभरी है। चुनावी सर्वे में आम आदमी पार्टी को 180  सीटें दिखाई जा रही थी जबकि भाजपा को ८० के आसपास बताई जा रही थी। बाद में जब चुनाव का परिणाम आया तो बीजेपी को 104  सीटें मिली तो आम आदमी पार्टी134  सीटों पर सिमट कर रह गई। नॉर्थ दिल्ली में मुस्लिम क्षेत्रों में अरविंद केजरीवाल का मुंह की खानी पड़ी है।
दरअसल दिल्ली वक्फ बोर्ड का आय का स्रोत उसकी अपनी संपत्ति है। ये आय मस्जिदों में बनी दुकानों-प्रॉपर्टी के किराये, दरगाह और खानका से आती है। उस संपत्ति की स्थानीय कमेटी 93  फीसदी को अपने पास रखती है। सात फीसदी बोर्ड को दे देती है। जिसमें एक फीसदी सेंट्रल वक्फ काउंसिल को जाता है। 
दरअसल बहराइच की दरगाह में सालाना सात करोड़ रुपये आय होती है, जिसमें 6  करोड़ 51  लाख दरगाह के रख खाव 49  लाख रुपये स्टेट वक्फ बोर्ड को जाते हैं। स्टेट बोर्ड 49  लाख में से 7  लाख रुपये सेंट्रल वक्फ काउंसिल को देता है। निजामुद्दीन दरगाह, महरौली दरगाह से होने वाली आय का हिस्सा वक्फ को मिलता है। वक्फ बोर्ड इसी आय में इमामों और मोअज्जिन को सैलरी देता है।

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