पंजाब के हुसैनीवाला से शुरू हुई मशाल यात्रा लेकर टिकरी बॉर्डर पहुंचे हैं हजारों किसान, दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर फिर से हो सकता है बड़ा हंगामा
दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो
दिल्ली बॉर्डर पर फिर से बड़ा किसान आंदोलन खड़ा होने हो सकता है। टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने डेरा जो डाल दिया है। दरअसल किसान पंजाब के हुसैनीवाला से शुरू हुई मशाल यात्रा लेकर बहादुरगढ़ पहुंचे हैं। ट्रैक्टर ट्रॉलियों, गाड़ियों और रेलगाड़ी के जरिए पंजाब और हरियाणा के विभिन्न स्थानों से किसान बहादुरगढ़ पहुंचे। इस दौरान वह शहर के पुराना बस स्टैंड से पैदल मार्च निकालकर मशाल यात्रा लेकर उस जगह पर पहुंचे। जहां उन्होंने एक साल पहले अपना आन्दोलन स्थगित किया गया था। इस दौरान किसानों को टिकरी बॉर्डर जाने से रोकने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी,लेकिन किसानों ने पहले ही यह बता दिया था कि वह इस बार दिल्ली नहीं जा रहे। किसानों की मशाल यात्रा के कारण करीब 1 घंटे तक दिल्ली रोहतक नेशनल हाईवे जाम रहा। किसान सड़क पर ही बैठ गए और आंदोलन की आगे की रणनीति की घोषणा की गई। बता दें कि किसान पंजाब के हुसैनीवाला से शुरू हुई मशाल यात्रा लेकर बहादुरगढ़ पहुंचे। ट्रैक्टर ट्रॉलियों, गाड़ियों और रेलगाड़ी के जरिए पंजाब और हरियाणा के विभिन्न स्थानों से किसान बहादुरगढ़ पहुंचे। इस दौरान वह शहर के पुराना बस स्टैंड से पैदल मार्च निकालकर मशाल यात्रा लेकर उस जगह पर पहुंचे, जहां उन्होंने एक साल पहले अपना आन्दोलन स्थगित किया गया था। इस दौरान किसानों को टिकरी बॉर्डर जाने से रोकने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी,लेकिन किसानों ने पहले ही यह बता दिया था कि वह इस बार दिल्ली नहीं जा रहे। किसानों की मशाल यात्रा के कारण करीब 1 घंटे तक दिल्ली रोहतक नेशनल हाईवे जाम रहा। किसान सड़क पर ही बैठ गए और आंदोलन की आगे की रणनीति की घोषणा की गई।
वहीं किसान नेता विकास सीसर का कहना है कि 11 दिसंबर 2021 के दिन सरकार के साथ समझौता होने के बाद आंदोलन को स्थगित किया था,लेकिन सरकार ने किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया और वह मशाल यात्रा निकालने पर मजबूर हो गए। उन्होंने कहा कि यह यात्रा किसान आन्दोलन के पार्ट 2 आगाज समझा जा सकता है। किसानों ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे जल्द पूरी नहीं हुई तो वह आन्दोलन करने पर मजबूर हो जाएंगे।
दरअसल तीन नए किसान कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर किसान 11 महीने जमे थे इस आंदोलन में लगभग 750 किसानों ने दम भी तोड़ दिया था। बाद में प्रधानमंत्री की पहल पर वे कानून वापस ले लिए गए थे। जिसके चलते किसान वापस अपने घरों को चले गए थे। केंद्र सरकार के किसानों की सभी मांग मान लेने की बात कही गई थी। किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। अब किसान एमएसपी कानून की गारंटी की मांग कर रहे हैं।