आम आदमी पार्टी ने 250 सीटों में से जीती 134 सीटें
सी.एस. राजपूत
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने को साबित करते हुए पर 250 सीटों में से 134 सीटें जीतते हुए दिल्ली एमसीडी पर भी कब्जा कर लिया है। दिल्ली एमसीडी पर आम आदमी पार्टी का कब्जा होने का मतलब दिल्ली के लोगों ने अरविंद केजरीवाल पर विश्वास किया है। बीजेपी के समस्याओं को दरकिनार कर हिन्दू मुस्लिम मुद्दे पर जोर देने को दिल्लीवासियों ने नकार दिया है। एमसीडी चुनाव में बहुमत के साथ जीत का मतलब भारतीय जनता पार्टी ने केजरीवाल के मंत्रियों सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया पर जो आरोप लगाए हैं उनका भी दिल्ली की जनता पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। केजरीवाल का कट्टर ईमानदार का नारा दिल्ली के लोगों पर सर चढ़कर बोला है।
दिल्ली में बिजली-पानी फ्री और खाद्यान्न में सब्सिडी को लेकर भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरी बीजेपी केजरीवाल पर रेवड़ी बांटने का आरोप लगाती रही हो पर केजरीवाल का बीजेपी को अमीरों को बढ़ावा देने और आम आदमी पार्टी का गरीबों का ध्यान रखने का दावा दिल्ली के लोगों को खूब भाया है। गुजरात विधानसभा चुनाव और दिल्ली एमसीडी चुनाव एक साथ कराने की रणनीति को दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल को घेरने के रूप में लिया है। 15 साल से एमसीडी पर काबिज रहने वाली बीजेपी दिल्लीवासियों की समस्याओं से ज्यादा मंदिर-मस्जिद, हिन्दू-मुस्लिम और दंगों पर ज्यादा चर्चा करती रही।
एमसीडी में लगातार बढ़ा भ्रष्टाचार भी बीजेपी के हारने का बड़ा कारण रहा है। केजरीवाल का अस्पतालों और स्कूलों में कराये गये सुधार ने दिल्ली के लोगों को प्रभावित किया है। केजरीवाल दिल्ली से गंदगी के साथ ही कूड़े के पहाड़ों को हटाने का मुद्दा भी खूब काम आया है। लोगों की समझ में यह आ गया एमसीडी और दिल्ली सरकार में झगड़े की वजह से उनके काम नहीं हो पा रहे थे। अब जब एमसीडी भी आम आदमी पार्टी के पास रहेगी तो अब काम न कराने का कोई बहाना केजरीवाल के पास नहीं रह पाएगा। काम कराने के लिए आम आदमी पार्टी को वोट देने की केजरीवाल की अपील को भी लोगों ने स्वीकार किया और दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस को दरकिनार कर आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया। जमीनी हकीकत यह भी है कि अब केजरीवाल की दिल्ली में काम कराने की बड़ी जिम्मेदारी और जवाबदेही हो गई है।
दरअसल बीजेपी एमसीडी चुनाव में अपने काम गिनाने के बजाय आम आदमी पार्टी के नेताओं को निशाना बनाती रही। चुनाव में हिन्दू मुस्लिम मुद्दा लागू करने में उसका ध्यान ज्यादा रहा। केजरीवाल के बिजली और पानी की फ्री योजना पर बीजेपी कटाक्ष ही करती रही जो योजना का लाभ ले रहे लोगों को अखर रहा था। बीजेपी के मंदिर प्रकोष्ठ के पुजारियों को वेतन और दूसरी सुविधाएं उठाने के मुद्दे को लोगों ने इसलिए नकार दिया क्योंकि बीजेपी शासित प्रदेशों में पुजारियों को ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
सनातन धर्म का हवाला देकर वोट मांगना भी बीजेपी के काम नहीं आया। बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ समेत 7 मुख्यमंत्रियों का चुनाव प्रचार में उतारना भी काम न आया। आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव की तरह एमसीडी में भी अपने को साबित किया है।
गुजरात मोरबी पुल हादसे मामले में भी केजरीवाल के लोगों को बीजेपी के खिलाफ संदेश देने में कामयाब रहे हैं। केजरीवाल ने खुलेआम कहा था कि एक घड़ी बनाने वाली कंपनी को बीजेपी सरकार ने पुल बनाने का ठेका दे दिया। इतना बड़े हादसे के बाद कंपनी मालिक का कुछ नहीं बिगड़ा है। यह सब दिल्ली के लोगों की भी समझ में आ रहा था कि इतने बड़े स्तर पर लोगों के मरने का भी बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ा है।
दिल्ली एमसीडी चुनाव से बीजेपी को यह सबक लेना चाहिए कि अब हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे पर लोगों को ज्यादा दिनों तक वोट नहीं लिया जा सकता है। अब लोग रोजी-रोटी चाहते हैं। स्थानीय समस्याओं का निपटारा चाहते हैं।
दरअसल अन्ना आंदोलन के बाद 2012 में गठन के बाद आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली का पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार भी बनाई। यह मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का दिल्ली के लोगों पर पकड़ ही है कि बीते तीन विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने अपना दबदबा कायम रखा है। 2013 में 70 में से 28 सीटें जीतकर पार्टी ने इतिहास रचा था। इसके बाद 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आप को अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई। ऐसे ही एमसीडी चुनाव में बीजेपी को पटखनी देते हुए बहुमत हासिल कर लिया।
जहां तक दिल्ली एमसीडी चुनाव की बात है तो आम आदमी पार्टी ने वर्ष 2017 में पहली एमसीडी का चुनाव लड़ा था। 2017 के चुनाव में पार्टी को 272 सीटों में से 26.23 फीसदी वोट शेयर के साथ 48 सीटें जीती थी। 2015 के विधानसभा चुनावों में आप ने 70 में से 67 सीटों जीत ली थी। इस चुनाव में बीजेपी को 3 और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी लेकिन बीजेपी ने 2017 में एमसीडी चुनाव में 181 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार एमसीडी पर कब्जा जमाया था।
1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है बीजेपी
हालांकि बीजेपी 1998 से ही दिल्ली की सत्ता से बाहर है लेकिन गत दो दशकों से एमसीडी पर उसका पूरी तरह दबदबा रहा है। बीजेपी ने एमसीडी पर 2007, 2012 और 2017 में पूर्ण बहुमत से कब्जा जमाया था। बीजेपी ने इस बार चौथी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाई थी पर केजरीवाल ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। एमसीडी चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का विषय माना जा रहा था। इसलिए बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, सात मुख्यमंत्री और 40 से अधिक स्टार प्रचार के लिए उतारे गये थे।
देखने की बात यह भी है कि बीजेपी की तुलना में एमसीडी चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए कहीं अधिक महत्व रख रहे थे। तीन विधानसभा चुनाव में दबदबा बनाने के बावजूद आम आदमी पार्टी बीजेपी से एमसीडी की सत्ता नहीं पा रहती थी लेकिन इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी से एमसीडी भी छीन ली है।