जमीन से उठकर दोनों नेताओं ने छुई थी राजनीतिक बुलंदी, 1977 में दोनों ही नेताओं ने जीता था नगर निगम चुनाव, साहिब सिंह वर्मा लाइब्रेरियन थे तो सज्जन कुमार लगाते थे चाय की रेहड़ी, साहिब सिंह वर्मा को बीजेपी में लाने वाले ओम प्रकाश कोहली थे तो सज्जन कुमार को कांग्रेस में लाने वाले संजय गांधी
सी.एस. राजपूत
नई दिल्ली। दिल्ली में एमसीडी चुनाव का प्रचार अंतिम दौर में है। एक ओर जहां बीजेपी फिर से एमसीडी चुनाव जीतने का दावा कर रही है तो वहीं आम आदमी पार्टी एमसीडी में भी केजरीवाल की सरकार बनाने का दम भर रही है। यह राजनीति का बदलता स्वरूप ही है कि जिस बाहरी दिल्ली ने साहिब सिंह और सज्जन कुमार जैसे राजनीतिक दिग्गज दिए उस बाहरी दिल्ली में जमीनी नेताओं का घोर अभाव देखा जा रहा है। यह संयोग ही रहा है कि साहिब सिंह और सज्जन कुमार दोनों ही दिग्गजों ने 1977 से एमसीडी चुनाव से अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया और एक से बढ़कर एक राजनीतिक मुकाम हासिल किया। साहिब सिंह वर्मा जहां बीजेपी से दिल्ली के मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे थे तो सज्जन कुमार कांग्रेस से संसदीय मंत्री पद तक।
बात यदि साहिब सिंह वर्मा के चुनाव लड़ने की करें तो उनके राजनीतिक सफर में पहली सफलता तब मिली थी जब वह 1977 में दिल्ली नगर निगम चुनाव जीते थे। तब दिल्ली में नगर निगम और महानगर परिषद् के चुनाव साथ साथ हुए थे। उस समय साहिब सिंह वर्मा लॉरेंस रोड सीट से विजयी हुए थे। दरअसल वे लॉरेंस रोड में ही रहते थे। साहिब सिंह वर्मा कितने जमीनी नेता रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उस समय वह पीजीडीएवी कॉलेज में लाइब्रेरियन थे। हालांकि मुंडका में वह रहते थे। साहिब सिंह को राजनीति में लेकर आने वाले बीजेपी के प्रखर नेता ओम प्रकाश कोहली थे। देखने की बात यह है कि साहिब सिंह वर्मा का सरनेम लाकड़ा था। जैसे आज की तारीख में मुंडका विधानसभा क्षेत्र से धर्मपाल लाकड़ा विधायक हैं। साहिब सिंह लाकड़ा की जगह वर्मा लिखने लगे थे। साहिब सिंह के छोटे भाई राजेंद्र लाकड़ा भी राजनीति में थे।
दिल्ली की राजनीति को उस समय भारी क्षति हुई जब 30 जून 2007 को जयपुर दिल्ली हाइवे पर एक हादसे में साहिब सिंह वर्मा का निधन हो गया। साहिब सिंह उस समय सीकर जिले से नीम का थाना में एक स्कूल की आधारशिला रखकर वापस दिल्ली लौट रहे थे। आज भले ही उनका बेटा प्रवेश वर्मा बीजेपी से सांसद हो पर प्रवेश वर्मा की लोगों पर ऐसी पकड़ नहीं बताई जाती है जैसी कि साहिब सिंह वर्मा की थी।
प्रवेश वर्मा के साथ ही सज्जन सिंह ने भी अपना राजनीतिक 1977 के नगर निगम चुनाव से शुरू किया था। साहिब सिंह वर्मा लॉरेंस रोड सीट बीजेपी से लड़े थे तो कांग्रेस ने बाहरी दिल्ली की नांगलोई सीट से सज्जन कुमार को टिकट दिया था। यह वह दौर था जिसमें इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में माहौल जनता पार्टी के पक्ष में था। यह सज्जन कुमार की क्षेत्र पर पकड़ ही थी कि उस समय सज्जन कुमार ने चुनाव जीतकर पूरी दिल्ली में सनसनी पैदा कर दी थी। तब कांग्रेस के गिनती के ही उम्मीदवार चुनाव जीते थे। यह भी दिलचस्प है कि सज्जन कुमार को राजनीति में लाने वाले उस दौर के सबसे ताकतवर नेता माने जाने वाले संजय गांधी थे।
दरअसल सज्जन कुमार मोतिया खान में चाय की रेहड़ी लगाते थे। कहते हैं कि इमरजेंसी के दौर में उनका संजय गांधी से परिचय हुआ था। संजय गांधी ने ही सज्जन कुमार को नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था। नगर निगम चुनाव जीतने के बाद उन्हें कांग्रेस ने बाहरी दिल्ली से 1980 लोकसभा का उम्मीदवार बनाया था। उस समय सज्जन कुमार आसानी से चुनाव जीत गए थे। यह वह समय था जब सज्जन कुमार की एक जन नेता की छवि बन गई थी। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में भड़के दंगों के लिए उन्हें भी दोषी माना गया और फिलहाल वह जेल में बंद हैं।