Saturday, December 28, 2024
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Homeराष्ट्रीय Mohan Bhagwat : तो क्या आरएसएस बदल रहा है ? 

 Mohan Bhagwat : तो क्या आरएसएस बदल रहा है ? 

दिल्ली दर्पण टीवी ब्यूरो 

जो आरएसएस ईसाइयों पर गरीब हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ अभियान चलाता रहा है वही आरएसएस अब क्रिसमस पर ईसाइयों के लिए बड़े भोज की व्यवस्था कर रहा है। देखने की बात यह है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जहां मुस्लिमों को रिझाने के लिए जामा मस्जिद के साथ ही विभिन्न मस्जिदों में जा-जाकर उनके इमामाों से मिल रहे हैं वहीं अब क्रिसमस पर कन्याकुमारी से लेकर केरल तक ईसाइयों के लिए भोज का आयोजन भी करा रहे हैं। आरएसएस ने क्रिसमस भोज में भारत के विभिन्न महत्वपूर्ण चर्चों के प्रमुखों को बुलाया है। बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार भी शामिल हो सकते हैं।

ईसाइयों को देश के लिए खतरा मानते थे दूसरे संघ प्रमुख

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरुजी माधव राव सदाशिवराव गोलवलकर ईसाइयों को भारत के लिए खतरनाक मानते थे। आरएसएस के संस्थापक और पहले सरसंघचालक केशव बलिराम हेडगेवार की मृत्यु के बाद संघ की कमान गोलवलकर को मिली थी। वह 1940 से लेकर अपनी मृत्यु यानी करीब 33 वर्षों तक संघ के सरसंघचालक रहे। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही आजादी के बाद संघ को संस्थागत शक्ति दिलाई थी।

साल 1966 में गोलवलकर ने अपने विचारों को एक किताब में समाहित किया था। वह किताब बंच ऑफ थॉट के नाम से प्रकाशित हुई थी। इस किताब को संघ का बाइबल तक कहा जाता है। यह किताब चार भागों में बंटी हुई है। दूसरे भाग राष्ट्र और उसकी समस्याओं में एक-एक टॉपिक आतंरिक खतरा नाम से है। इसी टॉपिक में गोलवलकर ने मुसलमानों, ईसाइयों को देश के लिए आंतरिक खतरा बताया था। उनका मानना था कि ईसाई अपना काम एजेंडे के तहत करते हैं, सरल व भोले लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। वह ईसाइयों के स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और अनाथालय संचालन पर सवाल उठाते हुए लिखते हैं, इन तमाम गतिविधियों में करोड़ों रुपये झोंकने में ईसाइयों को असली और परोक्ष मकसद क्या है ?


दरअसल साल 2008 में कर्नाटक में कई गिरजाघरों पर सिलसिलेवार ढंग से हमला किया गया था। हमले का आरोप संघ परिवार पर लगा था। हालांकि बाद में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग ने आरएसएस को क्लीन चिट दे दी थी। आरएसएस से जुड़ी पत्रिका पांचजन्य द्वारा चर्च और पादरियों पर निशाना भी साधा जा चुका है। अब अचानक आरएसएस के ईसाई के प्रति उभर रही हमदर्दी को लेकर लोग अपने हिसाब से ले रहे हैं। मतलब आरएसएस अब ईसाई समुदाय को जोड़ने की कोशिशों में जुटा है। लोग कह रहे हैं कि क्या आरएसएस वास्तव में देश में भाईचारा कायम करना चाहता है या फिर देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कराने के लिए आरएसएस कोई बड़ी रणनीति पर काम कर रहा है। क्योंकि गत दिनों मोहन भागवत ने सभी मंदिरों में शिवलिंग न ढूंढने की बात भी कही थी और जामा मस्जिद के अलावा देश की विभिन्न मस्जिदों के इमामों से मिले थे। मतलब आरएसएस ने मुस्लिमों को भी साधने की कोशिश की है। और अब आरएसएस क्रिसमस पर ईसाइयों के लिए भोज की व्यवस्था ईसाईयों को खुश करने में लगा है।

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